नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अरुणाचल यात्रा और वहां सेला टनल के उद्घाटन के बाद से बौखलाए चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा किया है और उसे चीन का हिस्सा बताया है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने भारत पर आरोप लगाते हुए कहा है- 1987 में भारत ने चीनी जमीन पर अवैध तरह से अरुणाचल प्रदेश बसाया। हमने तब भी इसका विरोध किया था और आज भी हम अपने बयान पर कायम हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जियान ने कहा- चीन और भारत की सीमा का कभी सीमांकन नहीं किया गया। ये पूर्वी सेक्टर, पश्चिमी सेक्टर और सिक्किम सेक्टर में बंटी हुई है। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश को जांगनान बताते हुए कहा- पूर्वी सेक्टर में जांगनान हमारा हिस्सा है। भारत के कब्जे से पहले चीन ने हमेशा प्रभावी ढंग से यहां पर शासन किया है। यह मूल तथ्य है, जिससे इनकार नहीं किया जा सकता।
गौरतलब है कि इस महीने यह चौथी बार चीन ने अरुणाचल को अपना हिस्सा बताया है। इससे पहले शनिवार यानी 23 मार्च को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सिंगापुर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था- चीन ने लगातार अरुणाचल पर अपना दावा किया है। ये दावे शुरू से ही बेतुके थे और आज भी बेतुके ही हैं। चीन सीमा समझौतों को नहीं मानता है।
सिंगापुर में जयशंकर ने कहा था- मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती ये है कि भारत-चीन के बीच संतुलन कैसे बनाएं, दोनों देश दो बड़ी ताकतें हैं जो आपस में पड़ोसी भी हैं।
उन्होंने कहा था- दोनों देशों का इतिहास और उनकी क्षमताएं उन्हें दुनिया से अलग करती हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच बातचीत जारी रखना अहम है। विदेश मंत्री ने कहा- 2020 में हमें हैरानी हुई, जब चीन ने बॉर्डर पर कुछ ऐसा किया जो दोनों देशों के बीच हुए समझौते का उल्लंघन था। चीन ने दोनों देशों के बीच संतुलन बनाने की बजाए उसे बिगाड़ दिया।
गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी अरुणचाल प्रदेश के दौरे पर गए थे और उन्होंने सबसे ऊंची सुरंग का उद्घाटन किया था, जिससे चीन सीमा की दूरी डेढ़ घंटे कम हो गई।