नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिका के बयान को भारत ने गंभीरता से लिया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के बयान के एक दिन बुधवार को विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी राजनयिक ग्लोरिया बर्बेना को तलब किया। वे दोपहर करीब सवा बजे विदेश मंत्रालय पहुंचीं और भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ उनकी बैठक 40 मिनट चली। उनसे मुलाकात के बाद विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के बयान पर आपत्ति जताई और उसका विरोध किया।
विदेश मंत्रालय ने कहा- भारत में कानूनी कार्रवाई पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का बयान गलत है। कूटनीति में उम्मीद की जाती है कि देश एक दूसरे के आंतरिक मसलों और संप्रभुता का सम्मान करेंगे। अमेरिका की टिप्पणी का विरोध करते हुए भारत ने कहा- अगर दो देश लोकतांत्रिक हों तो इसकी उम्मीद और बढ़ जाती है, नहीं तो अव्यवस्था की स्थिति बन सकती है। भारत में कानूनी प्रक्रिया एक स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित हैं। उस पर कलंक लगाना या सवाल उठाना स्वीकार नहीं किया जाएगा।
गौरतलब है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के चार दिन बाद 25 मार्च को अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा था- हमारी सरकार केजरीवाल की गिरफ्तारी के मामले पर नजर बनाए हुए है। हम उम्मीद करते हैं कि इस मामले में कानूनी प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी होगी। इस दौरान कानून और लोकतंत्र के मूल्यों का पालन किया जाएगा। इससे दो दिन पहले 23 मार्च को जर्मनी ने कहा था- भारत एक लोकतांत्रिक देश है। हमें उम्मीद है कि यहां न्यायालय आजाद है। केजरीवाल के मामले में भी लोकतंत्र के उसूलों का पालन किया जाएगा। केजरीवाल को बिना रुकावट कानूनी मदद मिलेगी। जब तक दोष साबित न हो तब तक किसी भी शख्स को निर्दोष मानने के कानूनी सिद्धांत का पालन होना चाहिए।