पटना। चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर के बाद बिहार की अंतिम मतदाता सूची जारी कर दी है। इसमें कुल 69 लाख नाम काटे गए हैं। चुनाव आयोग ने एसआईआर के बाद मसौदा सूची में 65 लाख 64 हजार से कुछ ज्यादा नाम काटे थे। उसके बाद एक महीने की दावा व आपत्ति अवधि थी, जिसमें तीन लाख 66 हजार से कुछ ज्यादा नाम काटे गए। इस तरह बिहार की मतदाता सूची से 69 लाख से कुछ अधिक नाम कट गए हैं। लेकिन साथ ही 21.53 लाख नए नाम जुड़े हैं।
चुनाव आयोग की ओर से मंगलवार को जारी अंतिम मतदाता सूची में बिहार के कुल मतदाताओं की संख्या 7.42 करोड़ से है। एसआईआर से पहले मतदाता सूची में कुल 7.89 करोड़ मतदाता थे। पहली मसौदा सूची जारी होने के बाद मतदाताओं की संख्या कम होकर 7.24 करोड़ हो गई थी। इसमें 65.64 लाख लोगों के नाम कटे थे। इनमें से 22.34 लाख लोग मृत पाए गए हैं। 6.85 लाख लोगों के दो जगह नाम मिले हैं, जबकि 36.44 लाख लोग दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके हैं।
नई मतदाता सूची में कुल सात करोड़ 41 लाख 92 हजार 317 मतदाता हैं। इनमें से तीन लाख 92 हजार से कुछ ज्यादा पुरुष मतदाता हैं, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या तीन करोड़ 49 लाख 82 हजार से कुछ ज्यादा है। कुल 1,725 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं। चुनाव आयोग ने बताया है कि अंतिम मतदाता सूची में 18 से 19 साल के मतदाताओं की संख्या 14 लाख से कुछ ज्यादा है। इस मतदाता सूची में 85 साल से ज्यादा उम्र के चार लाख से ज्यादा मतदाता हैं।
गौरतलब है कि विपक्षी पार्टियों ने एसआईआर का विरोध किया था और दावा किया था कि इसमें बहुत बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो रही है। इसके खिलाफ राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने बिहार में दो हफ्ते की यात्रा निकाली थी। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता के सत्यापन के लिए आधार को एक वैध दस्तावेज के तौर पर स्वीकार करने के आदेश दिया, जिसके बाद बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद ने अपना विरोध समाप्त कर दिया। परंतु कांग्रेस पार्टी का विरोध अब भी जारी है।
बहरहाल, बिहार में एसआईआर की अधिसूचना 24 जून को जारी हुई थी। इसमें 7.89 करोड़ मतदाताओं से दोबारा फॉर्म भरवाए गए थे। इसके बाद एक अगस्त को मसौदा मतदाता सूची जारी की गई, जिसमें 65 लाख से कुछ ज्यादा मतदाताओं के नाम काट दिए गए थे। इसके बाद एक महीने तक दावे और आपत्तियां ली गईं, जिसके बाद अंतिम सूची जारी हुई है। इस अंतिम सूची में सात करोड़ 42 लाख मतदाता हैं, जिसके आधार पर नवंबर में बिहार में मतदान होगा। चुनाव आयोग बिहार की तर्ज पर ही पूरे देश में एसआईआर कराने की तैयारी कर रहा है।