राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने एशिया दौरे पर चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग से मुलाकात से ठीक पहले परमाणु हथियार के परीक्षण को लेकर बड़ा ऐलान किया। ट्रंप ने पेंटागन को करीब 33 साल बाद फिर से परमाणु परीक्षण शुरू करने का आदेश दिया है। वहीं एशिया दौरे से वापसी के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस मामले में मीडिया से बातचीत भी की।
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, “लगता है कि ये सभी परमाणु परीक्षण कर रहे हैं। हमारे पास किसी से भी ज्यादा परमाणु हथियार हैं। हम परीक्षण नहीं करते, लेकिन जब दूसरे परीक्षण कर रहे हैं, तो मुझे लगता है कि हमारे लिए भी ऐसा करना उचित है।
हालांकि, ट्रंप ने यह नहीं बताया कि अमेरिकी परमाणु परीक्षण कब और कहां होंगे, बस इतना कहा, “हमारे पास परीक्षण स्थल हैं। इसकी घोषणा की जाएगी।” वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति से जब पूछा गया कि क्या उन्हें इस बात की चिंता है कि अमेरिका एक जोखिम भरे परमाणु वातावरण में प्रवेश कर रहा है, इस पर उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि हमने इसे काफी अच्छी तरह से निपटाया है।
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ट्रंप ने कहा, “मैं परमाणु निरस्त्रीकरण देखना चाहूंगा। हम इस बारे में रूस से बात कर रहे हैं और सब ठीक रहा तो चीन भी इसमें शामिल हो जाएगा।
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस की अगस्त में आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि राष्ट्रपति के आदेश के बाद अमेरिका को परमाणु हथियार का परीक्षण करने में 24 से 36 महीने लगेंगे। हाल के वर्षों में केवल उत्तर कोरिया ने ही परमाणु परीक्षण किया है, और वह भी 2017 में। 1998 के बाद से, जब भारत और पाकिस्तान ने परमाणु परीक्षण किए थे, कोई अन्य परीक्षण नहीं हुआ है।
अमेरिका द्वारा अंतिम परमाणु परीक्षण 1992 में, चीन द्वारा 1996 में और रूस के पूर्ववर्ती सोवियत संघ द्वारा 1990 में किया गया था।
तीनों प्रमुख परमाणु शक्तियों रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन में से किसी ने भी 1996 में चीन द्वारा किए गए परीक्षण के बाद से परमाणु हथियार का परीक्षण नहीं किया है। रूस ने आखिरी परमाणु परीक्षण 1990 में किया था, और अमेरिका ने आखिरी बार 1992 में परमाणु परीक्षण किया था।
कुछ दिन पहले रूस ने दावा किया था कि उसने पोसाइडन परमाणु-संचालित सुपर टॉरपीडो का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
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