पिछले दिनों एक नए किस्म के जिहाद के बारे में सुनने को मिला। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘नकल जिहाद’ को कामयाब नहीं होने देना की हुंकार भरी है। असल में पिछले दिनों उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग यानी यूकेएसएसएससी की परीक्षा का पेपर लीक हो गया। इस मामले में खालिद मलिक को मास्टरमाइंड के तौर पर पहचाना गया है और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। उसकी बहन साबिया को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। इनके ऊपर यूकेएसएसएससी ने 416 पदों की बहाली के लिए 21 सितंबर को हुई परीक्षा में पेपर लीक कराने का आरोप है।
खालिद हरिद्वार के बहादुरपुर जट स्थित आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज के सेंटर पर परीक्षा देने गया था। वह अपने साथ मोबाइल फोन लेकर गया था और उसने परीक्षा केंद्र से पेपर की फोटो खींच कर अपनी बहन साबिया को भेजा। साबिया ने आगे इसे हल करने के लिए खालिद की दोस्त सुमन को भेजा और सुमन ने हल करने के बाद इसे बॉबी पंवार को भेजा, जिसने पेपर वायरल किया।
जिस कॉलेज से पेपर लीक हुआ उसके प्रिंसिपल धर्मेंद्र चौहान हैं, जो भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी भी हैं। उनका कहना है कि 18 कक्षाओं में परीक्षा हो रही थी लेकिन सिग्नल इंटरसेप्ट करने और जैमर लगाने की व्यवस्था सिर्फ 15 कक्षाओं में थी। बाकी जिन तीन कक्षाओं में जैमर नहीं लगे थे उनमें से एक में खालिद परीक्षा दे रहा था। सवाल है कि क्या इस पूरे मामले में सबसे पहली विफलता परीक्षा केंद्र के संचालक की नहीं है? कैसे कोई छात्र मोबाइल लेकर कक्षा में गया, जबकि प्रतियोगिता परीक्षाओं में इतनी सख्त चेकिंग होती है? सोचें, परीक्षा केंद्र के संचालन में विफल व्यक्ति भाजपा के नेता हैं, पेपर वायरल करने वाले बॉबी पंवार भी युवा नेता हैं और पेपर हल करने वाली सुमन है परंतु मुख्यमंत्री को लग रहा है कि ‘नकल जिहाद’ चल रहा है, जिसका मास्टरमाइंड खालिद मलिक है! जाहिर है अपनी जिम्मेदारी में विफल रहने के बाद अपने बचाव का जो सबसे आसान तरीका है वह घटना को किसी न किसी तरह के जिहाद से जोड़ देना है। उसके बाद बड़ी आसानी से लोगों को आंदोलित किया जा सकता है और सारे विवाद को दूसरी तरफ मोड़ा जा सकता है।
जब से मुख्यमंत्री ने ‘नकल जिहाद’ की बात कही है तब से सोशल मीडिया में कई किस्म की सच्ची झूठी कहानियां चल रही हैं। कहा जा रहा है कि पेपर लीक करने वाला मुसलमानों को फ्री में पेपर दे रहा था, जबकि हिंदुओं से लाखों रुपए ले रहा था। सोचें, पेपर लीक करने वाला परीक्षा भवन में था, पेपर हल करने वाली एक हिंदू महिला थी और उसे वायरल करने वाला भी हिंदू युवा नेता था। लेकिन प्रचार ‘नकल जिहाद’ का हो रहा है! ऐसा लग रहा है कि नेताओं ने देश के लोगों को पूरी तरह से बुद्धिहीन समझ लिया है।
उनको लग रहा है कि किसी भी बात में ‘जिहाद’ शब्द जोड़ देंगे तो उस पर ध्रुवीकरण होने लगेगा और मुख्य मुद्दा लोगों की नजरों से ओझल हो जाएगा। असल में उत्तराखंड में सरकार पेपर लीक रोकने में पूरी तरह से विफल रही है। इसे लेकर छात्र और युवा आंदोलित हैं। उन्होंने बड़े प्रदर्शन किए। पहली बार ऐसा हुआ कि देहरादून से लेकर उत्तरकाशी और श्रीनगर से लेकर अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ तक युवा सड़कों पर उतरे। वे ‘पेपर चोर, गद्दी छोड़’ के नारे लगा रहे थे। जब सरकार को कुछ और समझ में नहीं आया तो उसने ‘नकल जिहाद’ का दांव आजमाने का फैसला किया।
असल में पेपर लीक पूरे देश की सभी सरकारों की सामूहिक विफलता है। चाहे परीक्षा कराने वाली केंद्रीय एजेंसी हो या राज्यों की एजेंसी हो और सरकार चाहे भाजपा की हो या किसी दूसरी पार्टी है, सब अक्षम साबित हुए हैं। पिछले पांच साल में देश में 65 भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं। इसी अनुपात में दाखिला परीक्षाओं के पेपर भी लीक हुए हैं। मेडिकल और इजीनियरिंग की दाखिला परीक्षाओं में राष्ट्रीय स्तर पर गड़बड़ी हुई है। पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आने वाले अर्धसैनिक बल आईटीबीपी में भर्ती के लिए परीक्षा हुई, जिसका पेपर लीक हो गया। इस मामले में इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ सायकोमेट्री के तीन निदेशक सहित पांच लोग पकड़े गए हैं। सभी पांचों लोग हिंदू हैं। नीट और जेईई परीक्षा में पेपर लीक कराने के आरोप में पकड़े गए लगभग सभी लोग हिंदू हैं। जाहिर है यह विशुद्ध रूप से सरकारों का निकम्मापन है, जिसे ‘नकल जिहाद’ कह कर सरकार की अक्षमता छिपाने और आक्रोशित युवाओं को गुमराह करने का प्रयास किया गया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मुंह से ‘नकल जिहाद’ सुनने के बाद थोड़ा रिसर्च करने से ही पता चल गया कि सबसे ज्यादा और सबसे अलग अलग किस्म के कथित ‘जिहाद’ का सामना करना वाला राज्य उत्तराखंड ही है। ‘नकल जिहाद’ से पहले मुख्यमंत्री धामी ने ‘थूक जिहाद’ के खिलाफ अभियान छेड़ने का ऐलान किया था। असल में कुछ दिन पहले उत्तराखंड में दो मुस्लिमों नौशाद अली और हसन अली को पकड़ा गया था, जिन पर आरोप लगा था कि वे चाय बनाते समय में सॉस पैन में थूकते हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री ने ‘थूक जिहाद’ के खिलाफ बाकायदा अभियान छेड़ दिया और रेस्तरां, ढाबे आदि के लिए नए नियम जारी किए, जिसके तहत खाने में थूकने पर 25 हजार से एक लाख रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया।
इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी ने ‘लैंड जिहाद’ से लड़ने का ऐलान किया था। इसकी शुरुआत टिहरी बांध परियोजना के तहत पुनर्वास के लिए आवंटित 10 बीघा जमीन पर अचानक दरगाह और मजार बन जाने से हुई। धामी सरकार इस घटना के बाद राज्य के कई हिस्सों में सरकारी जमीनों पर बने धार्मिक निर्माण को तोड़ रही है। धामी सरकार ने ‘लैंड जिहाद’ से भी राज्य को मुक्त कराने का संकल्प किया है। ‘नकल जिहाद’, ‘थूक जिहाद’ और ‘लैंड जिहाद’ के अलावा धामी सरकार ‘लव जिहाद’ से भी लड़ रही है।
गौरतलब है कि ‘लव जिहाद’ थोड़ा ज्यादा चर्चित जुमला है, जिससे देश भऱ की भाजपा सरकारें लड़ रही हैं। भाजपा नेताओं को क्रिकेट के मैदान से लेकर फिल्म उद्योग तक जहां भी किसी हिंदू युवती से किसी मुस्लिम युवक की शादी की खबर मिलती है वहां ‘लव जिहाद’ दिखने लगता है। हालांकि फिल्म अभिनेत्री हुमा कुरैशी ने अपने दोस्त रचित सिंह से सगाई की है तो उसको ‘लव जिहाद’ नहीं माना जाएगा। ‘लव जिहाद’ की ही तरह ‘लैंड जिहाद’ भी पूरे देश की परिघटना है।
झारखंड में भारतीय जनता पार्टी ने पिछले साल विधानसभा का चुनाव इन्हीं दो मुद्दों पर लड़ा था। भाजपा ने आरोप लगाया था कि बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए भोली भाली आदिवासियों लड़कियों को ‘लव जिहाद’ से अपने जाल में फंसा कर शादी रहे हैं और ‘लैंड जिहाद’ के तहत आदिवासी जमीन कब्जा कर रहे हैं। अफसोस की बात है कि झारखंड के आदिवासियों ने अपने को बचाने का जिम्मा भाजपा को नहीं सौंपा। उन्होंने भाजपा को बुरी तरह से चुनाव हरा दिया।
बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू हुआ तो ‘वोट जिहाद’ की बात खूब सुनने को मिली। वैसे ‘वोट जिहाद’ की बातें भी राष्ट्रीय स्तर पर काफी समय से चल रही हैं। इसके तहत भाजपा नेताओं का दावा है कि मुसलमान फर्जी वोट बनवा रहे हैं और भाजपा को हराने के लिए ‘वोट जिहाद’ कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया में ‘मेडिकल जिहाद’ की बात भी सुनने को मिली है। इसमें कहा जा रहा है कि मुस्लिम महिलाएं डॉक्टर, नर्स या गांवों में काम करने वाली मेडिकल सहायिका बन रही हैं और हिंदू महिलाओं की डिलीवरी सिजेरियन यानी ऑपरेशन से करा रही हैं और उन्हें डरा दे रही हैं, जिससे उनके एक या दो से ज्यादा बच्चे नहीं हो रहे हैं, जबकि मुस्लिम महिलाओं की लगभग सभी डिलीवरी नॉर्मल कराई जा रही है।
बहरहाल, इतनी तरह के जिहाद को देख कर ऐसा लग रहा है कि पूरा देश ही जिहाद के चक्कर में फंस गया है और बचाने वाली सिर्फ भाजपा है। फिर ध्यान आता है कि 11 साल से तो देश में भाजपा की ही सरकार है!