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लाल सागर भी मैदान-ए-जंग!

लाल सागर मैदान-ए-जंग बन गया है। इजराइल-हमास युद्ध 70वें दिन में प्रवेश कर चुका है और हर दिन और गंभीर रूप लेता जा रहा है। इस बीच, यमन के विद्रोही संगठन हूती ने लाल सागर में मालवाहक जहाजों पर  हमले शुरू कर दिए हैं। ईरान समर्थित इन विद्रोहियों का कहना है कि वे फिलिस्तीनियों के साथ अपनी एकजुटता दिखाने के लिए यह कर रहे हैं। उन्होंने धमकी दी है कि वे इजराइल जाने वाले और इजराइल से आने वाले हर उस जहाज पर हमला करेंगे जो गाजा के लिए मानवीय सहायता सामग्री लेकर नहीं जाएगा।19 नवंबर को हूती लड़ाकों ने एक इजराइली कंपनी से संबद्ध मालवाहक जहाज पर कब्ज़ा कर लिया।12 दिसंबर को यमन के एक हूती-नियंत्रित इलाके से छोड़ी गई मिसाइल से नार्वे के एक टैंकर को नुकसान पहुंचा। हालाँकि टैंकर के मालिक के अनुसार वह टैंकर इजराइल नहीं जा रहा था। फ्रांसीसी युद्धपोतों को भी निशाना बनाया गया है। पिछले 15 दिसंबर के बाद से ये हमले बढ़ गए हैं – हूतियों ने एक जहाज पर हमले की धमकी दी, दूसरे पर ड्रोन से हमला किया और तीसरे को दो बैलिस्टिक मिसाइलों का निशाना बनाया।

इन घटनाओं का नतीजा यह हुआ कि दुनिया की पांच सबसे बड़ी कंटेनर और शिपिंग कपंनियों  में से चार – सीएमए सीजीएम, हपाग-लॉयड, मर्स्क और एमएससी –  ने लाल सागर में अपने जहाजों की आवाजाही या तो रोक दी है या स्थगित कर दी है। ये चारों कंपनियां मिलकर दुनिया भर के कंटेनर परिवहन में 53 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखती हैं। छोटे कंटेनर आपरेटर, ड्राई बल्क केरियर और आइल टेंकर कंपनियां भी अब ऐसे ही कदम उठा सकती हैं। इस संकट से विश्व अर्थव्यवस्था में उथलपुथल पैदा हो सकती है।

हूती कौन हैं, इसकी थोड़ी चर्चा कर ली जाए। हूती आंदोलन की शुरूआत उत्तरी यमन से हुई, जहां अधिकांश लोग शिया मुसलामनों की एक शाखा ज़ैदी के अनुयायी हैं। सन् 1990 के दशक में हुसैन अल-हूती नामक एक ज़ैदी धर्मगुरू ने बिलीविंग यूथ नाम से कई समर स्कूलों की स्थापना में मदद की। ये स्कूल सऊदी अरब द्वारा उपलब्ध करवाए जा रहे धन से बन रहे सुन्नी मदरसों का मुकाबला करने के लिए बनवाए गए थे। सन 2001 आते-आते यह संगठन दो भागों में बंट गया और अल हूती के अनुयायियों वाले धड़े को हूती के नाम से जाना जाने लगा। सन् 2014 के अंतिम दिनों में शुरू हुए यमन युद्ध के दौरान इनकी ताकत में तब और बढ़ोत्तरी हुई जब साना पर इनका कब्जा हो गया। शिया ईरान के अपनी सीमा के निकट बढ़ते प्रभाव से चिंतित सऊदी अरब ने पश्चिम-समर्थित गठजोड़ के मुखिया के रूप में यमनी सरकार के मदद की।

हूती लड़ाके अमरीका और इजराइल को नष्ट करने का आव्हान करते हैं और वे मध्यपूर्व में हाल में बढ़े टकराव में शामिल हो गए हैं। गत 31 अक्टूबर को उन्होंने घोषणा की कि उन्होंने इजराइल पर ड्रोन और मिसाइलों के जरिए हमला किया है और कहा कि ये हमले तब तक जारी रहेंगे जब तक “इजराइली आक्रमण” बंद नहीं होता। ईरान ने उन्हें एंटी-टैंक, बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों जैसे आधुनिक हथियार और तकनीकी प्रदान की है जिससे हूती नौसीखिया लड़ाकों के एक गिरोह से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए महत्वपूर्ण एक क्षेत्र में हमले करने की क्षमता रखने वाली सैन्य शक्ति बन गए हैं। इस से लाल सागर में माल परिवहन असंभव हो गया है। आर्थिक दृष्टि से इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव मिस्र पर होगा। बाकी दुनिया के लिए इसका नतीजा यह होगा कि जहाजों को अब अफ्रीका  महाद्वीप का चक्कर लगाकर जाना होगा जिसका अर्थ है अधिक समय, अधिक व्यय और बीमा प्रीमियम में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी।

अब तक अमरीका व्यापारिक जहाजों पर हूतियों द्वारा किए जा रहे इन हमलों में सैन्य हस्तक्षेप करने में कतराता रहा है क्योंकि ऐसा करने से ईरान भड़क सकता है, जो यमन में हूतियों के अलावा हमास और हिजबुल्ला का भी समर्थन करता है। लेकिन हालिया दिनों में बढ़े हमलों, जिनसे आर्थिक उथलपुथल की स्थिति बन सकती है, के बाद अमरीका सक्रिय हुआ है और हूतियों के हमलों का जवाब देने के विभिन्न विकल्पों पर गहन चिंतन कर रहा है।

मध्यपूर्व का संकट गहराने लगा है और उसका प्रभाव अंतर्राष्ट्रीय संबंधो और अर्थव्यवस्था पर पड़ने लगा है। अमरीका और इजराइल दोनों पर विश्व समुदाय दबाव डाल रहा है, विशेषकर इजराइल पर। जहां अमरीका गाजा युद्ध में ढील देने का दबाव डाल रहा है वहीं हिज़बुल्ला को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। हिज़बुल्ला करीब-करीब हर दिन इजराइल पर मिसाइलों से हमले कर रहा है। यदि ईरान और उसके हूती समर्थक दुनिया के एक सबसे बड़े व्यापारिक मार्ग को बंद रखते हैं तो नए साल में हालात और ज्यादा बुरे हो सकते हैं। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

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By श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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