नए साल के युद्ध संकल्प !

नए साल के युद्ध संकल्प !

अपने नए साल के भाषण में यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमिर जेलेंस्की ने कसम खाई है कि 2024 में वे रूसी सेना पर कहर बरपाएंगे। वे यह बात पूरे भरोसे से इसलिए कह पाए क्योंकि यूक्रेन आज पहले की तुलना में अधिक शक्तिशाली है। यह युद्ध अपने तीसरे कैलेंडर वर्ष में प्रवेश कर रहा है।

उधर नए साल के ठीक एक दिन पहले और बाद में भी गाजा पर इजराइली हमले जारी रहे। हवाई हमलों में कई प्रोफेसर मारे गए और गाजा के केन्द्रीय हिस्से को धूल में मिला दिया गया। बेंजामिन नेतन्याहू ने संकल्प लिया है कि यह युद्ध तब तक चलता रहेगा जब तक उसे जारी रखना जरूरी होगा।

दोनों युद्ध युद्धक्षेत्र में भी लड़े जा रहे हैं और डिजीटल दुनिया में भी। दोनों का पूरे विश्व पर प्रभाव पड़ रहा है और सारी दुनिया के लिए दोनों के निहितार्थ हैं। सभी देशों के किसान तब स्तब्ध रह गए थे जब युद्ध की शुरुआत के बाद उन्हें यूक्रेन और रूस से अचानक उर्वरक मिलना बंद हो गए थे। अब लाल सागर में हो रहे हमलों के चलते एक बार फिर सप्लाई बाधित हो रही है। सोशल मीडिया पर सारी दुनिया के युवाओं से कहा जा रहा है कि वे अपनी राय दें, विरोध प्रकट करें और ग्लोबल चेन्स का बहिष्कार करें। इजराइल-हमास युद्ध घिनौना, घातक और दर्दनाक है। नए साल की पूर्व संध्या पर कई लोगों ने केवल ऐसी तस्वीरें और वीडियो साझा किए जिनमें युद्ध के वे दृश्य दिखाए गए हैं जिनमें बच्चे मारे गए। मुझे एक संदेश मिला कि ‘हैप्पी’ शब्द टाइप करने या ‘हैप्पी’ महसूस करने से पहले मुझे उन बच्चों के बारे में सोचना चाहिए जो गाजा में मारे गए या मारे जा रहे हैं।

निःसंदेह इस नव वर्ष पर इजराइल-हमास युद्ध पर सबका ध्यान केन्द्रित रहा है और आगे भी रहेगा। क्योंकि यह युद्ध कई देशों में चुनावों को प्रभावित करेगा, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है अमेरिका, जहां बहुत से युवा डेमोक्रेटों ने इजराइल का समर्थन करने के कारण बाइडन का साथ छोड़ दिया है। यही कारण है कि व्यक्तिगत टेलीफोन चर्चाओं में बाइडन नेतन्याहू पर बर्बादी बंद करने के लिए अधिकाधिक दबाव डाल रहे हैं। लेकिन नेतन्याहू का हमेशा से लक्ष्य रहा है ओस्लो समझौते को सदा-सदा के लिए खत्म और निष्प्रभावी करना। इस मामले में बीबी और हमास दोनों को हमेशा एक दूसरे की जरूरत रही है। बीबी अमेरिका और इजराइलियों को बताते हैं कि उनके पास कोई विकल्प नहीं है, और हमास, गाजा के निवासियों और दुनिया भर के अपने नए और सरल समर्थकों से कहता है कि फिलिस्तीनियों के पास हमास के नेतृत्व में सशस्त्र संघर्ष करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

लेकिन बीबी रुकने को तैयार नहीं हैं। यहां तक कि 2024 के बारे में सबसे बड़ी चिंता यही है कि इस साल  कहीं अलग-थलग पड़े इजराइल के खिलाफ जंग न शुरू हो जाए। ज़मीन पर चल सकने वाले वाहनों से लदे ईरानी जहाज, हमास, हिज़बुल्ला, हूती और ईराक के शिया लड़ाकों ने इजराइल को घेर रखा है। ईरान अपनी कठपुतलियों के ज़रिये इजराइल को कई मोर्चों पर एक साथ लड़ने के लिए बाध्य करने में जुटा है।

अगर युद्ध हुआ तो इजराइल के प्रति दुनिया की न सहानुभूति होगी, न संवेदना होगी और ना ही ऐसे मित्र देश होंगे, जो ईरान के खतरे का मुकाबला करने में उसकी मदद कर सकेंगे। और ना ही उसे हमास को परास्त करने के बाद, गाजा का प्रशासन चलाने के लिए फिलिस्तीनी सहयोगी मिलेंगे।

जहां तक यूक्रेन में चल रहे युद्ध का सवाल है, अभी तो यही दिखता है कि अगले कुछ महीनों तक वहां महत्वपूर्ण संसाधनों के अभाव के बीच लड़ाई जारी रहेगी। साथ ही असला का जो स्टॉक 2023 में ख़त्म हो गया, उसे दोबारा जुटाने के कवायद भी चलती रहेगी। जेलेंस्की ने नए साल की पूर्व संध्या पर कहा कि दुश्मन को एफ-16 लड़ाकू विमानों के देश में ही उत्पादन होने के नतीजों का अहसास होगा। ज़ेलेंसकी आत्मविश्वास से सराबोर हैं तो रूस निर्ममता बरतने पर दृढ है। मास्को ने भी हाल एं मिसाईलों और ड्रोन के जरिए कई हमले किए हैं और युद्ध शुरू होने के बाद के सबसे बड़े हवाई हमलों में से एक में 39 लोग मारे गए।

लेकिन दोनों ही युद्धों के उन्मादियों को उम्मीद है कि 2024 में उनके जैसी सोच रखने वाले डोनाल्ड ट्रंप दुबारा सत्ता हासिल कर लेंगे।वर्तमान, अतीत जितना ही निराशाजनक नजर आ रहा है। चिंता और तकलीफ जारी है। एकमात्र जो कार्य किया जाना बाकी है वह है हकीकत को बदलना। काश ऐसा हो जाता। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)

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Published by श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

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