महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव बहुत दिलचस्प होता है। इस बार का चुनाव भी अपवाद नहीं है। महाराष्ट्र के कुछ स्थानीय निकायों के चुनाव दो दिसंबर को हो रहे हैं और बाकी महानगरों के चुनाव जनवरी में होंगे। उससे पहले महाराष्ट्र की स्थानीय पार्टियां मराठा ध्रुवीकऱण की कोशिश में लगी हैं। इससे कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियां अलग थलग हो सकती हैं। बताया जा रहा है कि शरद पवार और अजित पवार की एनसीपी के साथ एकनाथ शिंदे की शिव सेना का तालमेल हो सकता है। अगर ये तीन पार्टियां ज्यादातर निकाय चुनावों में एक साथ लड़ती हैं तो वहां मराठा ध्रुवीकरण होगा। तीनों के नेता मराठा हैं और अलग अलग क्षेत्रों में मजबूत असर रखते हैं। इनके असर वाले इलाकों में कांग्रेस और भाजपा दोनों को परेशानी होगी।
उधर इसी तरह का मराठा ध्रुवीकरण का प्रयास उद्धव ठाकरे भी करेंगे। वे कांग्रेस और शरद पवार की बजाय अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ तालमेल पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। उनका प्रयास मराठा मानुष और हिंदुत्व के वोट को साथ लाना है। वे पुरानी शिव सेना को रिवाइव करने में लगे हैं। शरद पवार और उद्धव ठाकरे की इस स्वतंत्र राजनीति से कांग्रेस के नेता परेशान हैं। कांग्रेस के प्रदेश नेताओं को लग रहा है कि उद्धव ने राज से और शरद पवार ने अजित पवार से तालमेल करके कांग्रेस को अकेला छोड़ा है। लेकिन कांग्रेस के पास कोई रास्ता नहीं है। उधर भाजपा को भी परेशानी है लेकिन वह सरकार, संघ के स्वंयसेवक और हिंदुत्व के वोट के आधार पर अपना आधार बनाए रखने के भरोसे में है। नगर परिषद और नगर पंचायतों के चुनाव में पार्टियों का विभाजन साफ साफ दिख रहा है लेकिन जब महानगरों के चुनाव होंगे तब मराठा ध्रुवीकरण और पार्टियों का विभाजन ज्यादा साफ साफ दिखेगा।


