nayaindia Bihar Floor Test बिहार में शह और मात का खेल

बिहार में शह और मात का खेल

आमतौर पर बिहार में विधायकों की खरीद फरोख्त का इतिहास नहीं रहा है और न रिसॉर्ट पोलिटिक्स का इतिहास रहा है। एक बार सन 2000 में जब पहली बार नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने थे तब लालू प्रसाद ने विधायकों की घेराबंदी की थी और नीतीश को बहुमत नहीं साबित करने दिया था। अब एक बार फिर नीतीश कुमार की सरकार दांव पर है। वह पहली बार था और 24 साल के बाद नीतीश ने नौंवी बार शपथ ली है और उनको बहुमत साबित करना है। उससे पहले तमाम तरह की राजनीति हो रही है, जो पहले नहीं होती थी। इस बार भाजपा को अपने विधायक रिसॉर्ट में ले जाकर रखने पड़े। भाजपा अपने विधायकों को प्रशिक्षण के नाम पर बोधगया ले गई थी। माना जा रहा है कि जाति के नाम पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने कुछ विधायकों से संपर्क किया था और भाजपा के कुछ विधायक उनसे मिले भी थे।

बहरहाल, दूसरी ओर राष्ट्रीय जनता दल को भी अपने विधायकों को घेर कर रखना पड़ा है। 12 फरवरी को होने वाले शक्ति परीक्षण से पहले 10 फरवरी को राजद के विधायकों की बैठक बुलाई गई थी और सभी विधायकों को तेजस्वी के आवास पर ही रोक लिया गया। ठंड के इस मौसम में सबके लिए वही रजाई और बिस्तर की व्यवस्था की गई। माना जा रहा है कि राजद के कुछ विधायक भाजपा और जदयू के संपर्क में हैं। राजद की एक विधायक नीलम देवी बैठक में नहीं पहुंचीं थीं। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू ने भी विधायक दल की बैठक बुलाई थी, जिसमें पांच विधायक गैरहाजिर रहे। उनमें से तीन ने तो जायज कारण बताए लेकिन दो विधायकों की नाराजगी जाहिर हुई है। शह और मात के इस खेल में मुख्य खिलाड़ी जीतन राम मांझी हैं, जिनकी पार्टी के चार विधायक हैं। उन्होंने सरकार को समर्थन देने का वादा किया है। उनके बेटे संतोष सुमन राज्य सरकार में मंत्री भी हैं। उनके साथ होने से इस समय सरकार का पलड़ा भारी दिख रहा है।

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