बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी में या उनकी सरकार में एक या एक से ज्यादा लोग भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। एक के बाद एक ऐसे फैसले हो रहे हैं, जिनका राजनीतिक लाभ भाजपा को मिल सकता है। ताजा मामला स्कूलों की छुट्टी की है। इस साल बिहार के शिक्षा विभाग ने रक्षाबंधन से लेकर तीज तक कई छुट्टियों में कटौती की, जिसका भारी विरोध हुआ। बाद में सरकार को फैसला बदलना पड़ा। इसके बावजूद अगले साल का जो कैलेंडर जारी किया गया है उसमें हिंदू त्योहारों की छुट्टियां कम कर दी गई हैं। इसके उलट मुस्लिम त्योहारों की छुट्टियां बढ़ा दी गई हैं। इसका विरोध हो रहा है और जदयू के ही कई नेताओं ने इस पर सवाल उठाए, जिसके बाद यह तय है कि इसे बदल दिया जाएगा।
लेकिन ऐसा करके शिक्षा विभाग ने जदयू और उसकी सहयोगी पार्टियों, राजद व कांग्रेस का जो नुकसान करना था वह कर दिया। इसमें संदेह नहीं है कि शिक्षा विभाग के सचिव केके पाठक बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। लेकिन यह विशुद्ध राजनीतिक फैसला है, जिसका फायदा भाजपा को होगा। अगले साल के कैलेंडर के मुताबिक मकर संक्रांति, रक्षाबंधन, तीज और जिउतिया की छुट्टियां खत्म कर दी गई हैं। साथ ही दिवाली और छठ की छुट्टियां कम कर दी गई हैं। इसके उलट बिहार में अब ईद और बकरीद की छुट्टी तीन-तीन दिन रहेगी और मुहर्रम की छुट्टी भी दो दिन रहेगी। इसके अलावा मदरसों आदि में साप्ताहिक अवकाश शुक्रवार को हर दिया गया है। छात्रों को पता नहीं इसका कोई फायदा होगा या नहीं लेकिन भाजपा को जरूर होगा।