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प्रशांत किशोर को बड़बोलेपन का नुकसान

प्रशांत किशोर

जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर की पटना गांधी मैदान में बुलाई रैली बुरी तरह से फ्लॉप हो गई। उन्होंने पांच लाख लोग लाकर गांधी मैदान भर देने का दावा किया था लेकिन 50 हजार लोग भी नहीं पहुंचे। खुद प्रशांत किशोर दिन भर भागदौड़ करते रहे। यह आरोप लगाते रहे कि उनके समर्थकों की गाड़ियों को पटना के बाहर रोका जा रहा है।

वे खुद गंगा के किनारे लगा कथित जाम छुड़ाने पहुंच गए थे और दो बजे की रैली में सात बजे के बाद पहुंचे। इस रैली का इतना मुद्दा नहीं बनता अगर उन्होंने पटना सहित पूरे राज्य में यह होर्डिंग नहीं लगाई होती कि गांधी मैदान से तय हो जाएगा कि बिहार किसका है। उन्होंने यह दावा किया कि गांधी मैदान की रैली से वे 2025 का विधानसभा चुनाव सेटल कर देंगे।

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इस तरह का बड़बोलापन उन्होंने पिछले साल के अंत में हुए चार विधानसभा सीटों के उपचुनाव में दिखाया था। उन्होंने चार सीटों के उपचुनाव में उम्मीदवार उतारे थे। पार्टी बनाने के बाद यह उनका पहला चुनाव था और इसमें उन्होंने दावा किया कि वे 2024 के उपचुनाव से ही 2025 का विधानसभा चुनाव सेटल कर देंगे। वे चारों सीटों पर जीतने का दावा कर रहे थे लेकिन अंत में चारों सीटों पर उनकी पार्टी तीसरे स्थान पर रही, जिसमें से दो सीटों पर उनके उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई। उससे पहले उन्होंने कहा था कि अगर वे बिहार में सवा सौ से डेढ़ सौ सीट जीतते हैं तो इसको अपनी हार मानेंगे।

सोचें, बिहार में 243 विधानसभा सीटें हैं और इसमें किसी पार्टी को अपने दम पर आज तक पूर्ण बहुमत यानी 123 सीटें नहीं मिल पाई हैं। लेकिन प्रशांत किशोर कह रहे थे कि सवा सौ सीट मिली तो वे इसे अपनी हार मानेंगे। ऐसी बातों से वे हाइप तो बना देते हैं लेकिन उस हाइप के अनुरूप प्रदर्शन नहीं होता है तो उनके समर्थकों को ज्यादा निराशा होती है। इसलिए उनके करीबी ही उनको सलाह दे रहे है कि वे किसी तरह के अतिरेक से बचे। अब वे चुनाव रणनीतिकार नहीं हैं, बल्कि नेता हैं।

Pic Credit: ANI

By NI Political Desk

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