संसद में चप्पे चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। फिर भी न तो दोनों सदनों के सचिवालय की ओर से, न सरकार की ओर से और न भाजपा की ओर से किसी घटना की सीसीटीवी फुटेज जारी की जा रही है। ऐसा क्यों हो रहा है? अगर मकर द्वारा पर संसद की सीढ़ियों के पास राहुल गांधी ने भाजपा के सांसदों को धक्का दिया और उन्हें गिरा दिया तो इसकी वीडियो फुटेज होनी चाहिए। मकर द्वारा पर 19 दिसंबर को जो कुछ भी हुआ उसकी वीडियो फुटेज सरकार को जारी कर देनी चाहिए। ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए। लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर रही है। क्या सरकार दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को फुटेज उपलब्ध कराएगी, जिसको राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज मुकदमे की जांच की जिम्मेदारी दी गई है?
गौरतलब है कि 19 दिसंबर को हुए कथित धक्कामुक्की की घटना से पहले भी एक घटना संसद में हुई थी, जिसकी ओर किसी का ध्यान नहीं है। राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि राज्यसभा में कांग्रेस सांसद अभिषेक सिंघवी की सीट से 50 हजार रुपए नकद बरामद हुए हैं। इस पर भाजपा ने बड़ा हंगामा किया था। कांग्रेस की ओऱ से इसका विरोध हुआ था और कहा गया था कि सभापति को जांच करा कर संसद का नाम लेना चाहिए था। उस जांच का भी क्या हुआ पता नहीं चल पा रहा है। राज्यसभा में एक निश्चित समय के भीतर जाने आने वाले की सीसीटीवी फुटेज देख कर या सुरक्षाकर्मियों से पूछताछ करके पता लगाया जा सकता है कि किन किन लोगों के पास अवसर था वहां नोटो की गड्डी रखने का। लेकिन ऐसा लग रहा है कि उससे बड़ा मुद्दा आ गया तो उसे जस का तस छोड़ दिया गया।
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