पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस की दुखती नस पर हाथ रख दिया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस के नैरेटिव को सीपीएम के नेता नियंत्रित कर रहे हैं। यह कांग्रेस के कई नेताओं की शिकायत है। उनको लग रहा है कि गैर सरकारी संगठनों से जुड़े लोग, जेएनयू से पढ़े लिखे नेता और कम्युनिस्ट पार्टियों के नेता कांग्रेस को वैचारिक दिशा दे रहे हैं। राहुल गांधी ऐसे लोगों के असर में हैं इसलिए वे कांग्रेस का पारंपरिक रास्ता छोड़ रहे हैं। कांग्रेस छोड़ते हुए मुंबई के नेता मिलिंद देवड़ा ने कहा है कि कांग्रेस उद्योगपतियों को देशद्रोही बताने लगी है। वे पार्टी के संयुक्त कोषाध्यक्ष नियुक्त किए गए थे और उससे पहले भी पार्टी के लिए संसाधनों की व्यवस्था करने वाले नेता थे। इसलिए वे बेहतर जानते होंगे। अगर सचमुच कांग्रेस उद्योगपतियों को देशद्रोही मान रही है तो इसका मतलब है कि वह लेफ्ट पार्टियों की लाइन पर ही चल रही है।
तभी ममता बनर्जी के कहने के बाद कांग्रेस के कई नेता महसूस कर रहे हैं कि पार्टी को अपना रास्ता बदलना होगा। पारंपरिक रास्ते पर लौटना होगा, जिसमें समावेशी राजनीति होती है। उनका कहना है कि राहुल गांधी एक तरफ मंडल की राजनीति कर रहे हैं और ओबीसी का जाप कर है हैं तो दूसरी ओर वामपंथी विचारधारा के असर में पूंजीपतियों, कारोबारियों पर हमले कर रहे हैं। उन्हें इसके बीच संतुलन बनाना होगा। असल में राहुल गांधी सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी के लगातार संपर्क में हैं और राजनीतिक व सैद्धांतिक मामलों में उनकी राय लेते रहते हैं। इससे भी कांग्रेस के नेता नाराज हैं। कांग्रेस के एक नेता का कहना है कि सीताराम येचुरी की बात उनकी पार्टी में कोई नहीं मानता है। उनकी पार्टी सिर्फ केरल में बची है, जहां प्रकाश करात के हिसाब से सब काम होता है। फिर कांग्रेस पार्टी को क्यों उनके हिसाब से काम करना चाहिए।