हरियाणा में बहुत रोचक राजनीति हो रही है। यह समझना मुश्किल है कि कौन किसके साथ है। ताजा मामला जननायक जनता पार्टी के विधायक देवेंद्र बबली का है। जब तीन निर्दलीय विधायकों ने भाजपा की नायब सिंह सैनी सरकार से समर्थन वापस लिया और कांग्रेस के साथ चले गए तो देवेंद्र बबली ही भाजपा सरकार के बचाव में उतरे थे। उन्हीं के घर पर पानीपत में जननायक जनता पार्टी के तीन विधायकों ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की थी। उसके बाद ही यह साफ हो गया था कि सैनी सरकार को बहुमत हो जाएगा और तभी विपक्ष की ओर से राज्यपाल को चिट्ठी तो लिखी गई लेकिन आधिकारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने की पहल किसी ने नहीं की है।
अब देवेंद्र बबली कांग्रेस के साथ चले गए हैं। गौरतलब है कि वे पहले कांग्रेस में ही थे लेकिन पिछले चुनाव में पार्टी ने उनको टोहाना सीट से टिकट नहीं दिया तो वे दुष्यंत चौटाला की नई बनी पार्टी से चुनाव लड़ गए थे। सवाल है कि भाजपा की सरकार के लिए समर्थन जुटाने वाले बबली के कांग्रेस के साथ चले जाने से क्या सैनी सरकार संकट में नहीं आई है? ध्यान रहे तीन निर्दलीय विधायकों की समर्थन वापसी से सैनी सरकार का बहुमत कम हो गया था। 88 सदस्यों की विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 45 का है और उसके पास सिर्फ 43 विधायक हैं। भाजपा को भरोसा है कि जजपा के विधायक उसका साथ देंगे लेकिन जजपा के सबसे मुखर विधायक कांग्रेस के साथ चले गए। सो, अब गेंद कांग्रेस के पाले में है। लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है कि कांग्रेस पार्टी सरकार गिराने का कोई प्रयास करेगी क्योंकि चार, पांच महीने के बाद ही राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।