Lok Sabha election

  • बसपा का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खतरे में

    बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। उनकी पार्टी को इस बार एक भी लोकसभा सीट नहीं मिली है। उत्तर प्रदेश की विधानसभा में भी उनका सिर्फ एक विधायक है। लोकसभा में उत्तर प्रदेश में बसपा को 10 फीसदी से कम वोट मिला है और विधानसभा चुनाव में भी उसका वोट 12.88 फीसदी रह गया। उसका वोट टूट कर भाजपा और सपा व कांग्रेस की ओर गया है। इस बीच उत्तर प्रदेश में चंद्रशेखर आजाद के रूप में एक बड़ी चुनौती उभर कर आ गई है। इस चुनौती का मुकाबला करने के...

  • मरियल कुंडियां और प्रतिपक्ष का तात्विक कर्म

    अगर चुनाव कुप्रबंधन के थोड़े भी पर्याप्त प्रमाण हों तो विपक्ष को मुख्य निर्वाचन आयुक्त के ख़िलाफ़ संसद में महाभियोग चलाने का प्रस्ताव पेश करना चाहिए।....विपक्ष को एक काम और करने की गांठ बांधनी चाहिए। नरेंद्र भाई ने विमर्श के गलियारे बंद करने की मंशा से संसद के नए भवन में केंद्रीय कक्ष का निर्माण ही नहीं होने दिया है। पुराने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष को पुनर्जीवित करने का ज़ोरदार उपक्रम सकल-विपक्ष अगर करेगा तो उसे सांसदों, पूर्व सांसदों, राज्यों के मंत्रियों, विधायकों, पूर्व विधायकों और पत्रकारों का निर्विवाद अखिल भारतीय समर्थन हासिल होगा। इस मुहीम की जीत का...

  • संघ और भाजपा का मिलाजुला खेल है!

    यह हॉलीवुड फिल्मों वाला 'गुड कॉप, बैड कॉप' वाला खेल लगता है। जिस में किसी का दोहन करने के लिए एक पुलिस वाला उस पर आँखें तरेरता है; तो दूसरा उसे पुचकार कर माल-ठिकाना पूछता है! दोनों का उद्देश्य एक रहता है, तरीके जुदा होते हैं।वही खेल बरसों, बल्कि दशकों से संघ-भाजपा के नेता आम हिन्दू समर्थकों और अपने भी कार्यकर्ताओं के साथ खेल रहे हैं। एक ओर, दलीय स्वार्थ के हर हथकंडे में खुले-छिपे शामिल रहते हैं। दूसरी ओर इसे 'विवशता' या 'तात्कालिक जरूरत' बताकर समर्थकों को भरमाते हैं। कुछ बड़े संघ नेताओं द्वारा इशारों में भाजपा नेताओं पर...

  • आरएसएस और भाजपा क्या सचमुच लड़ रहे हैं?

    लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की ओर से जो टिप्पणियां आ रही हैं उनसे लग रहा है कि दोनों के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। कहा जा रहा है कि चुनाव नतीजों में भाजपा के कमजोर होने के बाद आरएसएस ने एक तरह से बदले की कार्रवाई शुरू की है। पिछले कई बरसों से भाजपा की राजनीति और केंद्र सरकार के कामकाज में संघ की पूछ कम हो गई थी। तभी संघ के पदाधिकारी भाजपा और खास कर नरेंद्र मोदी के कमजोर होने का इंतजार कर रहे थे। तभी जब भाजपा लोकसभा चुनाव में...

  • कम्युनिस्ट पार्टियों के नेताओं की चिंता

    देश की तीन कम्युनिस्ट पार्टियों को इस बार कुल आठ सीटें मिली हैं। सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम को चार सीट मिली है, जबकि सीपीआई और सीपीआई माले को दो-दो सीटें मिली हैं। आरएसपी को भी एक सीट मिली है। सो, अगर पूरे लेफ्ट मोर्चे की बात करें तो नौ सीटें बनती हैं, जो पिछली बार के बराबर हैं। लगातार इस तरह के प्रदर्शन से कम्युनिस्ट पार्टियों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। लेकिन सभी कम्युनिस्ट नेताओं की चिंता अलग है। इन नौ में से सिर्फ एक सीट ऐसी है, जो उस राज्य से मिली है, जहां लेफ्ट...

  • खुशफहमी न पाले, कांग्रेस अब अपने को ठिक करें!

    देश की तीन कम्युनिस्ट पार्टियों को इस बार कुल आठ सीटें मिली हैं। सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम को चार सीट मिली है, जबकि सीपीआई और सीपीआई माले को दो-दो सीटें मिली हैं। आरएसपी को भी एक सीट मिली है। सो, अगर पूरे लेफ्ट मोर्चे की बात करें तो नौ सीटें बनती हैं, जो पिछली बार के बराबर हैं। लगातार इस तरह के प्रदर्शन से कम्युनिस्ट पार्टियों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। लेकिन सभी कम्युनिस्ट नेताओं की चिंता अलग है। इन नौ में से सिर्फ एक सीट ऐसी है, जो उस राज्य से मिली है, जहां लेफ्ट...

  • लोकसभा चुनाव के बाद एक्शन में योगी सरकार

    देश की तीन कम्युनिस्ट पार्टियों को इस बार कुल आठ सीटें मिली हैं। सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम को चार सीट मिली है, जबकि सीपीआई और सीपीआई माले को दो-दो सीटें मिली हैं। आरएसपी को भी एक सीट मिली है। सो, अगर पूरे लेफ्ट मोर्चे की बात करें तो नौ सीटें बनती हैं, जो पिछली बार के बराबर हैं। लगातार इस तरह के प्रदर्शन से कम्युनिस्ट पार्टियों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। लेकिन सभी कम्युनिस्ट नेताओं की चिंता अलग है। इन नौ में से सिर्फ एक सीट ऐसी है, जो उस राज्य से मिली है, जहां लेफ्ट...

  • न तुम जीते न वो हारे!

    देश की तीन कम्युनिस्ट पार्टियों को इस बार कुल आठ सीटें मिली हैं। सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम को चार सीट मिली है, जबकि सीपीआई और सीपीआई माले को दो-दो सीटें मिली हैं। आरएसपी को भी एक सीट मिली है। सो, अगर पूरे लेफ्ट मोर्चे की बात करें तो नौ सीटें बनती हैं, जो पिछली बार के बराबर हैं। लगातार इस तरह के प्रदर्शन से कम्युनिस्ट पार्टियों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। लेकिन सभी कम्युनिस्ट नेताओं की चिंता अलग है। इन नौ में से सिर्फ एक सीट ऐसी है, जो उस राज्य से मिली है, जहां लेफ्ट...

  • नरेंद्र मोदी 8 जून को तीसरी बार ले सकते हैं पीएम पद की शपथ

    देश की तीन कम्युनिस्ट पार्टियों को इस बार कुल आठ सीटें मिली हैं। सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम को चार सीट मिली है, जबकि सीपीआई और सीपीआई माले को दो-दो सीटें मिली हैं। आरएसपी को भी एक सीट मिली है। सो, अगर पूरे लेफ्ट मोर्चे की बात करें तो नौ सीटें बनती हैं, जो पिछली बार के बराबर हैं। लगातार इस तरह के प्रदर्शन से कम्युनिस्ट पार्टियों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। लेकिन सभी कम्युनिस्ट नेताओं की चिंता अलग है। इन नौ में से सिर्फ एक सीट ऐसी है, जो उस राज्य से मिली है, जहां लेफ्ट...

  • नीतीश और नायडू को क्या चाहिए

    देश की तीन कम्युनिस्ट पार्टियों को इस बार कुल आठ सीटें मिली हैं। सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम को चार सीट मिली है, जबकि सीपीआई और सीपीआई माले को दो-दो सीटें मिली हैं। आरएसपी को भी एक सीट मिली है। सो, अगर पूरे लेफ्ट मोर्चे की बात करें तो नौ सीटें बनती हैं, जो पिछली बार के बराबर हैं। लगातार इस तरह के प्रदर्शन से कम्युनिस्ट पार्टियों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। लेकिन सभी कम्युनिस्ट नेताओं की चिंता अलग है। इन नौ में से सिर्फ एक सीट ऐसी है, जो उस राज्य से मिली है, जहां लेफ्ट...

  • बिहार : शुरुआती रूझानों में चिराग पासवान सहित सभी प्रत्याशी आगे

    देश की तीन कम्युनिस्ट पार्टियों को इस बार कुल आठ सीटें मिली हैं। सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम को चार सीट मिली है, जबकि सीपीआई और सीपीआई माले को दो-दो सीटें मिली हैं। आरएसपी को भी एक सीट मिली है। सो, अगर पूरे लेफ्ट मोर्चे की बात करें तो नौ सीटें बनती हैं, जो पिछली बार के बराबर हैं। लगातार इस तरह के प्रदर्शन से कम्युनिस्ट पार्टियों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। लेकिन सभी कम्युनिस्ट नेताओं की चिंता अलग है। इन नौ में से सिर्फ एक सीट ऐसी है, जो उस राज्य से मिली है, जहां लेफ्ट...

  • चुनाव खत्म, महंगाई शुरू

    देश की तीन कम्युनिस्ट पार्टियों को इस बार कुल आठ सीटें मिली हैं। सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम को चार सीट मिली है, जबकि सीपीआई और सीपीआई माले को दो-दो सीटें मिली हैं। आरएसपी को भी एक सीट मिली है। सो, अगर पूरे लेफ्ट मोर्चे की बात करें तो नौ सीटें बनती हैं, जो पिछली बार के बराबर हैं। लगातार इस तरह के प्रदर्शन से कम्युनिस्ट पार्टियों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। लेकिन सभी कम्युनिस्ट नेताओं की चिंता अलग है। इन नौ में से सिर्फ एक सीट ऐसी है, जो उस राज्य से मिली है, जहां लेफ्ट...

  • लोकसभा चुनाव के नतीजों से पहले झूमा शेयर बाजार

    देश की तीन कम्युनिस्ट पार्टियों को इस बार कुल आठ सीटें मिली हैं। सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम को चार सीट मिली है, जबकि सीपीआई और सीपीआई माले को दो-दो सीटें मिली हैं। आरएसपी को भी एक सीट मिली है। सो, अगर पूरे लेफ्ट मोर्चे की बात करें तो नौ सीटें बनती हैं, जो पिछली बार के बराबर हैं। लगातार इस तरह के प्रदर्शन से कम्युनिस्ट पार्टियों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। लेकिन सभी कम्युनिस्ट नेताओं की चिंता अलग है। इन नौ में से सिर्फ एक सीट ऐसी है, जो उस राज्य से मिली है, जहां लेफ्ट...

  • चुनाव खत्म होते ही टोल टैक्स बढ़ा

    देश की तीन कम्युनिस्ट पार्टियों को इस बार कुल आठ सीटें मिली हैं। सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम को चार सीट मिली है, जबकि सीपीआई और सीपीआई माले को दो-दो सीटें मिली हैं। आरएसपी को भी एक सीट मिली है। सो, अगर पूरे लेफ्ट मोर्चे की बात करें तो नौ सीटें बनती हैं, जो पिछली बार के बराबर हैं। लगातार इस तरह के प्रदर्शन से कम्युनिस्ट पार्टियों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। लेकिन सभी कम्युनिस्ट नेताओं की चिंता अलग है। इन नौ में से सिर्फ एक सीट ऐसी है, जो उस राज्य से मिली है, जहां लेफ्ट...

  • एक्जिट पोल की बहस पर कांग्रेस का यू टर्न

    देश की तीन कम्युनिस्ट पार्टियों को इस बार कुल आठ सीटें मिली हैं। सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम को चार सीट मिली है, जबकि सीपीआई और सीपीआई माले को दो-दो सीटें मिली हैं। आरएसपी को भी एक सीट मिली है। सो, अगर पूरे लेफ्ट मोर्चे की बात करें तो नौ सीटें बनती हैं, जो पिछली बार के बराबर हैं। लगातार इस तरह के प्रदर्शन से कम्युनिस्ट पार्टियों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। लेकिन सभी कम्युनिस्ट नेताओं की चिंता अलग है। इन नौ में से सिर्फ एक सीट ऐसी है, जो उस राज्य से मिली है, जहां लेफ्ट...

  • कांग्रेस और आप का आगे कितना साथ?

    देश की तीन कम्युनिस्ट पार्टियों को इस बार कुल आठ सीटें मिली हैं। सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम को चार सीट मिली है, जबकि सीपीआई और सीपीआई माले को दो-दो सीटें मिली हैं। आरएसपी को भी एक सीट मिली है। सो, अगर पूरे लेफ्ट मोर्चे की बात करें तो नौ सीटें बनती हैं, जो पिछली बार के बराबर हैं। लगातार इस तरह के प्रदर्शन से कम्युनिस्ट पार्टियों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। लेकिन सभी कम्युनिस्ट नेताओं की चिंता अलग है। इन नौ में से सिर्फ एक सीट ऐसी है, जो उस राज्य से मिली है, जहां लेफ्ट...

  • चुनाव ड्यूटी पर हुई मौतों का जिम्मेदार कौन?

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  • मोदी भगवान के अवतार और गांधी !

    देश की तीन कम्युनिस्ट पार्टियों को इस बार कुल आठ सीटें मिली हैं। सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम को चार सीट मिली है, जबकि सीपीआई और सीपीआई माले को दो-दो सीटें मिली हैं। आरएसपी को भी एक सीट मिली है। सो, अगर पूरे लेफ्ट मोर्चे की बात करें तो नौ सीटें बनती हैं, जो पिछली बार के बराबर हैं। लगातार इस तरह के प्रदर्शन से कम्युनिस्ट पार्टियों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। लेकिन सभी कम्युनिस्ट नेताओं की चिंता अलग है। इन नौ में से सिर्फ एक सीट ऐसी है, जो उस राज्य से मिली है, जहां लेफ्ट...

  • प्रधानमंत्री का ऐसा स्तर

    देश की तीन कम्युनिस्ट पार्टियों को इस बार कुल आठ सीटें मिली हैं। सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम को चार सीट मिली है, जबकि सीपीआई और सीपीआई माले को दो-दो सीटें मिली हैं। आरएसपी को भी एक सीट मिली है। सो, अगर पूरे लेफ्ट मोर्चे की बात करें तो नौ सीटें बनती हैं, जो पिछली बार के बराबर हैं। लगातार इस तरह के प्रदर्शन से कम्युनिस्ट पार्टियों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। लेकिन सभी कम्युनिस्ट नेताओं की चिंता अलग है। इन नौ में से सिर्फ एक सीट ऐसी है, जो उस राज्य से मिली है, जहां लेफ्ट...

  • ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी के दिन मतदान

    देश की तीन कम्युनिस्ट पार्टियों को इस बार कुल आठ सीटें मिली हैं। सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम को चार सीट मिली है, जबकि सीपीआई और सीपीआई माले को दो-दो सीटें मिली हैं। आरएसपी को भी एक सीट मिली है। सो, अगर पूरे लेफ्ट मोर्चे की बात करें तो नौ सीटें बनती हैं, जो पिछली बार के बराबर हैं। लगातार इस तरह के प्रदर्शन से कम्युनिस्ट पार्टियों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा होता है। लेकिन सभी कम्युनिस्ट नेताओं की चिंता अलग है। इन नौ में से सिर्फ एक सीट ऐसी है, जो उस राज्य से मिली है, जहां लेफ्ट...

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