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केजरीवाल प्रचार में उतरे तो क्या माहौल बदलेगा?

ByNI Political,
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Arvind Kejriwal AAP party
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आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को क्या दिल्ली में चुनाव प्रचार का मौका मिलेगा? दिल्ली में छठे चरण में 25 मई को लोकसभा की सात सीटों पर मतदान होना है उसी दिन हरियाणा की सभी 10 सीटों पर वोटिंग होगी, जबकि पंजाब की सभी 13 सीटों पर आखिरी चरण में यानी एक जून को मतदान होगा। आम आदमी पार्टी दिल्ली की चार, हरियाणा की एक और पंजाब की सभी 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इन्हीं 18 सीटों में पार्टी को कुछ सीटें मिलनी हैं। लेकिन इन तीनों राज्यों में प्रचार शुरू होने से पहले ही पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया और वे जेल चले गए। अब ऐसा लग रहा है कि प्रचार के लिए उनको जमानत मिल सकती है। तभी सवाल है कि क्या अगर वे जेल से बाहर आते हैं तो उनके प्रचार से कुछ माहौल बदलेगा?

ध्यान रहे सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोकसभा चुनाव हैं और उसमें प्रचार की जरुरत को देखते हुए अदालत केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर विचार कर सकती है। अदालत ने यह बात इसलिए कही क्योंकि केजरीवाल ने गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली जो याचिका दायर की है उस पर फैसला होने में देरी हो सकती है। हालांकि केजरीवाल ने गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए इसे चुनौती दी है और इसलिए जमानत की अर्जी नहीं दी है। इस बात की ओर सॉलिसीटर जनरल ने ध्यान दिया और कहा कि अदालत के सामने जमानत की याचिका नहीं है। लेकिन हो सकता है कि सात मई को याचिका हो और अदालत उनको जमानत दे दे।

बहरहाल, दिल्ली में केजरीवाल के प्रचार की सबसे ज्यादा जरुरत महसूस की जा रही है। इसका कारण यह है कि उनकी गैरहाजिरी में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच समन्वय नहीं बन पा रहा है। दोनों पार्टियों की ओर से सबको एकजुट करने वाला चेहरा नहीं है। बीच चुनाव में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने इस्तीफा दे दिया। चुनाव प्रचार के लिए एक समन्वय समिति बनी है लेकिन सबको पता है कि दुर्गेश पाठक और सुभाष चोपड़ा दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं और नेताओं को एक मंच पर लाकर साझा अभियान चलाने में बहुत सक्षम नहीं हैं। अगर केजरीवाल बाहर आते हैं तो न सिर्फ दोनों पार्टियों में तालमेल बेहतर होगा, बल्कि विपक्षी की साझा रैलियों से माहौल बनेगा। अगर केजरीवाल और राहुल गांधी दिल्ली में कोई साझा रैली करते हैं तो उसका ज्यादा असर होगा।

हालांकि एक राय यह भी है कि उनके जेल में रहने से सुनीता केजरीवाल प्रचार कर रही हैं और उनको सहानुभूति मिल रही है। लेकिन दोनों पार्टियों का सिर्फ सहानुभूति से काम नहीं चलेगा। ध्यान रहे केजरीवाल के जेल में होने से कैबिनेट की बैठक नहीं हो पा रही है, जिससे महिलाओं को एक हजार रुपया महीना देने की बजट में घोषित योजना पर काम नहीं शुरू हो पाया। अगर केजरीवाल बाहर आकर कैबिनेट की बैठक करते हैं और इस योजना पर अमल शुरू होता है तो उसका मैसेज जाएगा। मेयर का चुनाव भी उनके जेल में होने के बहाने उप राज्यपाल ने टाला है। उसकी भी प्रक्रिया शुरू हो सकती है। इसके अलावा सबको पता है कि  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के टक्कर में कोई नैरेटिव बना सकता है तो वह केजरीवाल हैं। सो, अगर उनको अंतरिम जमानत मिलती है तो उसका कुछ न कुछ असर होगा।

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