Wednesday

30-04-2025 Vol 19

बेनिवाल और चंद्रशेखर की पार्टी क्या गुल खिलाएंगे?

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राजस्थान के जाट नेता और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, रालोपा बना कर राजनीति कर रहे हनुमान बेनिवाल ने उत्तर प्रदेश के फायरब्रांड दलित नेता और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) बना कर राजनीति कर रहे चंद्रशेखर आजाद के साथ तालमेल किया है। दोनों पार्टियों की पहली रैली रविवार को जयपुर में हुई, जिसमें बड़ी संख्या में लोग जुटे। ये दोनों नेता दलित और जाट का समीकरण बना कर चुनाव लड़ रहे हैं। सवाल है कि इनका गठबंधन किसको नुकसान पहुंचाएगा? बेनिवाल दावा कर रहे हैं कि जो लोग कहते थे कि राजस्थान में तीसरा दल नहीं बन सकता है उनके मुंह पर अब ताला लग जाएगा। अगर इन दोनों को तीसरा दल मान लें तो क्या इनके चुनाव लड़ने का फायदा सत्तारूढ़ कांग्रेस हो सकता है?

पारम्परिक राजनीतिक नजरिए से देखें तो आमतौर पर तीसरे दल या गठबंधन से सत्तारूढ़ दल को फायदा होता है क्योंकि इससे सत्ता विरोधी वोट बंटते हैं। तभी अगर ये दोनों पार्टियां सत्ता विरोधी वोट काटती हैं तो भाजपा को नुकसान हो सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में बेनिवाल की पार्टी को 2.4 फीसदी वोट और तीन सीटें मिली थीं। वे 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ लड़े और जीते। लेकिन उसके बाद से राज्य में जितने भी उपचुनाव हुए उनमें बेनिवाल ने भाजपा को नुकसान पहुंचाया। राज्य में 10 फीसदी जाट मतदाता बताए जाते हैं और 40 सीटों पर उनका असर माना जाता है। अगर उन सीटों पर बेनिवाल के उम्मीदवारों को दलित वोट मिलते हैं तो बहुत दिलचस्प नतीजे देखने को मिल सकते हैं। दूसरी ओर दलित वोट 17 से 18 फीसदी माना जाता है और 33 सीटें उनके लिए आरक्षित हैं। अगर आरक्षित सीटों पर भी दलित व जाट साथ वोट करते हैं तब भी दिलचस्प नतीजे देखने को मिलेंगे।

NI Political Desk

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