संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में 19 सीटें खाली हैं। इसका मतलब है कि 245 के सदन में अब अभी 226 सदस्य हैं और बहुमत का आंकड़ा 114 का है। इसके बावजूद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार उच्च सदन में अल्पमत में है। यह बहुत दिलचस्प स्थिति है। राज्यसभा में एक सौ सीट का आंकड़ा छूने की ओर बढ़ रही भाजपा 86 सीटों पर आ गई है। उसकी सहयोगी पार्टियों को मिला कर भी उसकी संख्या 101 पहुंच रही है। सो, अगर संसद के मानसून सत्र में सरकार को कोई विधेयक पास कराना है या बजट के ही किसी प्रावधान पर विपक्ष से टकराव हो जाए और वोटिंग की नौबत आ जाए तो भाजपा को बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस की मदद लेनी होगी। गौरतलब है कि जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस भले विधानसभा और लोकसभा का चुनाव हार गई लेकिन उनकी पार्टी के 11 राज्यसभा सांसद हैं। बीजू जनता दल के भी आठ सांसद हैं। इनके 19 सांसदों की बदौलत सरकार का बहुमत बनेगा लेकिन सरकार को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
बहरहाल, राज्यसभा में भाजपा की सीटों की संख्या घट कर 86 हो गई और बजट सत्र शुरू होने वाला है तब भी चुनाव आयोग राज्यसभा सीटों के उपचुनाव की घोषणा नहीं कर रहा है, यह असली हैरानी की बात है। गौरतलब है कि राज्यसभा की जो सीटें खाली हैं उनमें चार सीटें जम्मू कश्मीर की हैं, जहां विधानसभा चुनाव नहीं होने की वजह से राज्यसभा का चुनाव अटका है। इसके अलावा चार सीटें मनोनीत श्रेणी की है, जो 13 जुलाई को खाली हुई हैं। सोनल मानसिंह, महेश जेठमलानी, रामशकल और राकेश सिन्हा रिटायर हुए हैं। इनके अलावा 11 सीटें अलग अलग राज्यों में खाली हुई हैं। इनमें से नौ सीटें भाजपा को मिल जाएंगी। यानी अभी चुनाव हो जाए तो भाजपा की सीटों की संख्या 86 से बढ़ कर 95 हो जाएंगी और अगर चारों मनोनीत सांसदों वाली रिक्ति भर दी जाती है और चुने जाने के बाद वे भाजपा की सदस्यता की घोषणा कर देते हैं तो भाजपा की संख्या 99 हो जाएगी। एक सीट कांग्रेस को और एक अन्य सीट भाजपा की सहयोगी को जाएगी।
बिहार की एक सीट भाजपा ने अपनी सहयोगी राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नेता उपेंद्र कुशवाहा को देने का फैसला किया है। आंध्र प्रदेश की एक सीट कांग्रेस के खाते में जाएगी। इसके अलावा बिहार की दूसरी सीट भाजपा को मिलेगी। इसी तरह हरियाणा में कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा के लोकसभा सांसद बनने से खाली हुई एक सीट भाजपा के खाते में जाएगी। राजस्थान में कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल की सीट भी भाजपा को मिलेगी। इसी तरह महाराष्ट्र में खाली हुई सभी तीन सीटें भाजपा के खाते में जाएंगी तो असम की दो सीटें भी भाजपा को मिलेंगी। त्रिपुरा में बिप्लब देब के इस्तीफे से खाली सीट भी भाजपा को मिलेगी। इनमें से एक आंध्र प्रदेश की के केशव राव की सीट छोड़ दें तो बाकी सारी सीटें पिछले महीने यानी जून की 20 तारीख से पहले खाली हो चुकी हैं। इसके बाद 22 जुलाई से संसद सत्र की घोषणा हो गई है लेकिन चुनाव आयोग ने खाली हुई 11 सीटों के लिए अधिसूचना जारी नहीं की है। भाजपा भी लगता है कि उच्च सदन में बहुमत नहीं होने को लेकर ज्यादा चिंता में नहीं है।