ममता बनर्जी देश के उन थोड़े से नेताओं में हैं, जो 24 घंटी राजनीति करते हैं। वे चुनाव हारने या जीतने के बाद शांत होकर नहीं बैठती हैं, बल्कि आगे के चुनाव की तैयारियों में जुट जाती हैं। उनको 2019 के लोकसभा चुनाव में झटका लगा था, जब भाजपा 18 सीटों पर जीत गई थी। लेकिन उसके बाद से ममता लगातार उन इलाकों में सक्रिय रहीं, जहां भाजपा को बढ़त मिली थी या जहां का जातीय समीकरण भाजपा के पक्ष में जा रहा था। उन्होंने दो ऐसे इलाकों की पहचान की, जहां भाजपा मजबूत हो रही थी। उसके बाद पिछले पांच साल उन्होंने इन इलाकों में काम किया। उत्तर बंगाल और मतुआ बहुल इलाकों में ममता ने मेहनत करके वापस अपनी जमीन हासिल कर ली है।
लोकसभा चुनाव में तो जीत के बाद मतुआ इलाके में विधानसभा उपचुनाव हुए तो ममता ने वहां भी जीत दर्ज की। बागदा सीट पर उन्होंने मतुआ समाज की नेता और पार्टी की सांसद ममता बाला ठाकुर की बेटी मधुपर्ण ठाकुर को टिकट दिया और वे चुनाव जीत गईं। वे 25 साल की हैं और नतीजों के बाद ममता ने उनकी खासतौर से तारीफ की। गौरतलब है कि मतुआ समुदाय के शांतनु ठाकुर को भाजपा ने केंद्र में मंत्री बनाया है। शांतनु ठाकुर और तृणमूल का ममता बाला ठाकुर के बीच वर्चस्व की लड़ाई चलती रहती है। ममता बनर्जी ने 25 साल की मधुपर्ण ठाकुर को विधायक बना कर ममता बाला ठाकुर को बढ़त दिला दी है। इसी तरह लोकसभा चुनाव में ममता ने उत्तरी बंगाल के इलाके में कुछ सीटों पर भाजपा को हरा कर उस इलाके में भाजप की राजनीति को पंक्चर किया।


