मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से आहत हैं और नाराज भी हैं। उनको उम्मीद थी कि पार्टी आलाकमान यानी नरेंद्र मोदी और अमित शाह के प्रति जो उन्होंने जिस तरह का रवैया रखा है उसे देखते हुए उनको फिर से मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। तभी उन्होंने चेहरा घोषित नहीं होने के बावजूद बहुत मेहनत की। उनके समर्थकों को यह उम्मीद थी कि कम से कम लोकसभा चुनाव तक के लिए उनको मुख्यमंत्री बनाए रखा जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। तभी चुनाव नतीजों के बाद उन्होंने कई ऐसे बयान दिए, जो नाराजगी जताने वाले थे। उन्होंने यहां तक कहा कि दिल्ली जाकर कुछ मांगने की बजाय मर जाना पसंद करेंगे। तभी सवाल है कि आगे उनके लिए पार्टी में क्या भूमिका बचती है?
राज्य में मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनको दिल्ली बुलाया था। वे दिल्ली आए और नड्डा से मिलने के बाद मीडिया के सामने कहा कि पार्टी उनको जो भूमिका देगी वे उसे जिम्मेदारी से निभाएंगे। सूत्रों के हवाले से खबर आई कि उनको संगठन में कोई अहम जिम्मेदारी मिल सकती है। लेकिन साथ ही यह भी जाहिर हुआ कि पार्टी में उनके लिए सब कुछ ठीक नहीं है और वे भी ठीक करने के मूड में नहीं हैं। शिवराज सिंह ने दिल्ली में नड्डा से मुलाकात की लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने नहीं गए। आमतौर पर नई भूमिका की तलाश कर रहे नेताओं को नड्डा के साथ साथ शाह से भी मिलना होता है। लेकिन शिवराज उनसे नहीं मिले। माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश में शिवराज की विदाई और अनाम मोहन यादव की ताजपोशी के पीछे अमित शाह की रणनीति है। तभी अब देखना है कि आगे शिवराज के लिए क्या भूमिका बचती है।