राज्यसभा के इस साल के चुनाव के बाद उच्च सदन में पार्टियों की स्थिति में ज्यादा बदलाव नहीं होगा। भाजपा और कांग्रेस उतनी सीटें जीत जाएगी, जितनी उनकी सीटें खाली हो रही हैं। लेकिन कुछ प्रादेशिक पार्टियों को नुकसान होगा। जैसे तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति को दो सीटों का नुकसान हो सकता है। अभी राज्य में खाली हो रही तीनों सीटें उसके पास हैं, जिनमें से दो सीटें कांग्रेस जीत सकती है। इसी तरह बिहार में जनता दल यू के दो सांसद रिटायर हो रहे हैं लेकिन उसका एक ही सांसद जीत पाएगा। उधर सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट पिछले साढ़े तीन दशक में पहली बार अपनी सीट गंवाएगा और सिक्किम क्रांति मोर्चा का सांसद चुनाव जीतेगा। महाराष्ट्र में शिव सेना के उद्धव ठाकरे गुट को एक और आंध्र में टीडीपी को एक सीट का नुकसान होगा।
जहां तक भाजपा की बात है तो उसे चार राज्यों में पांच सीटों का नुकसान होगा। उसे हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में एक-एक और उत्तर प्रदेश में दो सीट का नुकसान होगा। लेकिन बिहार और पश्चिम बंगाल में उसे एक-एक सीट का और गुजरात में दो सीटों का फायदा होगा। गुजरात में कांग्रेस अपनी दोनों सीटें गंवा देगी और राज्य की चारों सीटें भाजपा के खाते में जाएंगी। बाकी सभी राज्यों में यथास्थिति रहेगी। राजस्थान व मध्य प्रदेश में भाजपा को पहले की तरह दो-दो और महाराष्ट्र में तीन सीट मिलेगी। कर्नाटक में उसकी एक सीट बची रहेगी तो उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, हरियाणा और झारखंड में भी उसकी एक-एक सीटें बची रहेंगी। जहां तक कांग्रेस की बात है तो उसे दो सीट का नुकसान गुजरात में होगा तो दो सीट का फायदा तेलंगाना में हो जाएगा। उसे एक सीट का नुकसान पश्चिम बंगाल में होगा। बाकी मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक में उसके पास पहले से जितनी सीटें हैं उतनी रह जाएंगी। बिहार और झारखंड में कांग्रेस अपनी सहयोगी पार्टियों पर निर्भर है। अगर उन्होंने धोखा नहीं दिया तो कांग्रेस दोनों राज्यों की अपनी सीटें बचा लेगी।