ऐसा लग रहा है कि पाकिस्तान के साथ चल रहे संघर्ष के बहाने केंद्र सरकार सोशल मीडिया की भी सफाई कर रही है। एक एक करके ऐसे यूट्यूब चैनल्स बंद किए जा रहे हैं, जिन पर लगातार भाजपा और केंद्र सरकार के विरोध में चीजें दिखाई जाती हैं। इसी तरह से ऐसे एक्स हैंडल को बैन कराया जा रहा है, जहां सरकार की आलोचना होती है। घरेलू अकाउंट्स के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूहों के अकाउंट्स भी बैन करने को कहा गया है। खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स ने कहा कि उसे आठ हजार अकाउंट्स बंद करने को कहा गया है, जिसमें कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूहों के अकाउंट्स भी हैं। हालांकि एक्स ने इनको सिर्फ भारत में देखे जाने से प्रतिबंधित किया है।
इससे पहले कई यूट्यूब चैनल भी बंद कराए गए, जिनमें पुराने पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी का भी चैनल है। उनके अलावा संजय शर्मा का 4पीएम चैनल भी बंद करा दिया गया। हालांकि यूट्यूब के इन प्लेटफॉर्म्स को लेकर सेकुलर बिरादरी में भी हैरानी और नाराजगी थी। इसका कारण यह था कि ये दोनों चैनल लगातार केंद्र की सरकार गिराते रहते थे। हर दिन इनके प्लेटफॉर्म पर मोदी और योगी के झगड़े की खबर होती थी। एक दिन योगी को हटाया जाता था और उनकी सरकार खतरे में बताई जाती थी तो एक दिन संघ द्वारा मोदी को हटाने की खबर आती थी और उनकी सरकार पर खतरा मंडराता दिखता था। एक खास समुदाय के लोगों को अपना सब्सक्राइवर बनाने और अपनी पोस्ट की व्यूज बढ़ाने के लिए इस तरह के काम किए जा रहे थे। यही काम इन लोगों ने पहलगाम कांड और भारत की प्रतिक्रिया के मामले में भी करना शुरू कर दिया। इनका प्लेटफॉर्म बंद किए जाने पर सवाल उठाने के साथ साथ यह सवाल भी उठाना चाहिए कि आखिर कोई पत्रकारिता के नाम पर किस हद तक गैरजिम्मेदाराना बात कर सकता है!