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पन्नू मामले में बैकफुट पर क्यों है भारत?

हरदीप सिंह निज्जर के मामले में भारत ने कनाडा के खिलाफ जितना आक्रामक तेवर दिखाया वह अभूतपूर्व था। प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रुडो के बयान के बाद भारत कनाडा से राजनयिक संबंध खत्म करने की कगार पर पहुंच गया था। उनके ऊपर गजब हमले हुए। कनाडा के 40 से ज्यादा राजनयिक भारत से वापस भेजे गए और वीजा सेवा पूरी तरह से बंद कर दी गई, जो अब वापस बहाल हुई है। लेकिन वही भारत खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के मामले में पूरी तरह से बैकफुट पर है। वह अमेरिका के सामने कनाडा के मुकाबले 10 फीसदी भी आक्रामकता नहीं दिखा रहा है, जबकि अमेरिका ने भी भारत पर बिल्कुल वही आरोप लगाए हैं, जो कनाडा ने लगाए हैं। कनाडा ने कहा था कि भारतीय एजेंसियों ने निज्जर को मरवाया और अमेरिका ने कहा है कि भारतीय एजेंसियों ने पन्नू को मरवाने की कोशिश की, जिसे अमेरिका के जासूसों ने नाकाम कर दिया।

कनाडा की तरह आरोपों को खारिज करने की बजाय भारत अमेरिका के आरोपों की एक उच्चस्तरीय कमेटी बना कर जांच करवा रहा है। भारत क्यों नहीं अमेरिका से पूछ रहा है कि वह पन्नू पर कार्रवाई क्यों नहीं करता? पन्नू कोई अलगाववादी विचारक नहीं है। वह आतंकवादी है, जिसने कुछ दिन पहले ही धमकी दी थी कि एयर इंडिया के विमानों को उड़ा दिया जाएगा या उनको हाईजैक कर लिया जाएगा। इसके बावजूद अमेरिका पन्नू के ऊपर कार्रवाई नहीं कर रहा है और उलटे भारत से पूछ रहा है कि उसने क्यों अमेरिकी नागरिक को मरवाने की साजिश रची। वहां की अदालत में भारतीय नागरिकों के ऊपर मुकदमा भी दर्ज हो गया है। भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह बात उठानी चाहिए कि अमेरिका एक आतंकवादी को प्रश्रय दे रहा है। नहीं तो यह माना जाएगा कि कनाडा कमजोर है इसलिए भारत ने उसके साथ अलग बरताव किया और अमेरिका मजबूत है इसलिए उसके साथ अलग बरताव किया जा रहा है।

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