ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने अपने विदेश मंत्री को मॉस्को भेजा था। उन्होंने मॉस्कों में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की और उनको खामेनेई की चिट्ठी सौंपी। इसमें खामेनेई ने रूस से मदद मांगी है और इस बात की शिकायत भी है कि इजराइल के साथ युद्ध में और बाद में अमेरिकी हमले पर भी रूस ने ईरान की मदद नहीं है। ध्यान रहे ईरान और रूस दोस्त हैं लेकिन मौजूदा संकट में रूस के रवैए से ईरान खुश नहीं है। सवाल है कि क्या सचमुच ईरान के शासकों को पता नहीं है कि पुतिन क्यों उसकी मदद नहीं कर रहे हैं या ईरान को हकीकत पता है?
ध्यान रहे ईरान के मौजूदा संकट से अगर किसी को सबसे ज्यादा फायदा है तो वह रूस है। ईरान संकट से होर्मुज स्ट्रेट से कच्चे तेल की ढुलाई प्रभावित हो रही है। इससे कच्चे तेल का दाम बढ़ रहा है। दाम बढऩे से ज्यादातर देश तेल के लिए रूस की ओर देख रहे हैं। भारत ने रूस से तेल आयात बढ़ाने का फैसला किया है। ध्यान रहे रूस और यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भी भारत की सरकारी और निजी कंपनियां रूस से तेल खरीदती रही थीं और छप्पर फाड़ मुनाफा कमा रही थीं। इससे रूस की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई थी और आगे भी होगी। उसको दूसरा फायदा यह हो रहा है कि इजराइल व ईरान और फिर अमेरिका व ईरान के बीच युद्ध छिड़ने से सबका ध्यान रूस और यूक्रेन युद्ध से हटा है। अब उसकी चर्चा नहीं हो रहा है और पुतिन ने कहना शुरू कर दिया है कि पूरा यूक्रेन रूस का है।


