nayaindia Karnatak politics ईश्वरप्पा और सदानंद गौड़ा दोनों नाराज

ईश्वरप्पा और सदानंद गौड़ा दोनों नाराज

लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए मुश्किल राज्यों में एक राज्य कर्नाटक है। पिछली बार उसने राज्य की 28 में से 25 सीटें जीती थी और एक सीट पर भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई थी। उस बार निर्दलीय सांसद सुमनलता अंबरीष भी भाजपा के साथ हैं और भाजपा ने जेडीएस से भी तालमेल कर लिया है, जिसका एक सांसद जीता था।

यानी 27 सांसद भाजपा और एनडीए के हैं। इसलिए उसके लिए बड़ी चुनौती वाली लडाई है। पिछले साल विधानसभा का चुनाव हारने के बाद उसकी स्थिति राज्य में डांवाडोल दिखाई दे रही थी। लेकिन जेडीएस से तालमेल करके उसने अपने को संभाला है। फिर भी कांग्रेस की मजबूती के साथ साथ भाजपा के   अंदर की बगावत उसके लिए भारी पड़ रही है।

जिस तरह से पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के जगदीश शेट्टार सहित कई बड़े नेता नाराज होकर पार्टी छोड़े थे और भाजपा को इसका नुकसान हुआ था उसी तरह इस बार के एस ईवरप्पा और डीवी सदानंद गौड़ा जैसे बड़े नेता नाराज हैं। ईश्वरप्पा ने तो शिवमोगा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है, जहां से कर्नाटक भाजपा के सबसे बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई राघवेंद्र सांसद हैं और इस बार भी चुनाव लड़ रहे हैं। वे अपने बेटे को टिकट नहीं मिलने से नाराज हैं।

इसी तरह वोक्कालिगा समाज के बड़े नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डीवी सदानंद गौड़ा टिकट नहीं मिलने से नाराज हैं। वे पार्टी छोड़ सकते हैं। उनके करीबियों ने भाजपा पर वोक्कालिगा समाज की अनदेखी का आरोप लगाया है।

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