दिल्ली की शराब नीति से जुड़े कथित घोटाले की जांच चलती जा रही है। यह नीति 2022 में समाप्त कर दी गई है और उससे पहले से इसमें गड़बड़ी की बातें चल रही हैं। केंद्रीय जांच एजेंसियां सीबीआई और ईडी इसकी जांच दो साल से ज्यादा समय से कर रही हैं। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार हुए सवा साल से ज्यादा हो गए। उनकी गिरफ्तारी के एक साल से ज्यादा समय के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया। लेकिन उसके बाद भी यह धारावाहिक बंद नहीं हो रहा है। इस मामले की सुनवाई दो साल बाद भी शुरू नहीं हो रही है, बल्कि गिरफ्तारियां चल रही हैं। एक सीरियल की तरह हर महीने दो महीने में किसी को गिरफ्तार किया जाता है और कहा जाता है कि उससे पूछताछ में नए सबूत मिले हैं, जिसके आधार पर फिर दूसरे आदमी को पकड़ा जाता है।
यह सिलसिला दो साल से चल रहा है। कितने कारोबारी, कितने नेता और कितने अधिकारी एक एक करके गिरफ्तार हुए हैं इसका हिसाब नहीं है। केजरीवाल और सिसोदिया के अलावा इसी मामले में संजय सिंह और के कविता भी गिरफ्तार हुए। हर गिरफ्तारी के बाद दूसरी गिरफ्तारी का रास्ता खुल जाता है। ताजा गिरफ्तारी वकील विनोद चौहान की है, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि उनको के कविता के सचिव ने नोटों से भरा बैग दिया था। उससे पहले पंजाब के चरणप्रीत सिंह गिरफ्तार हुए, जिनके बारे में कहा गया कि उनको 17 करोड़ रुपए मिले थे, जो उन्होंने गोवा के चुनाव में खर्च के लिए वहां के पार्टी नेताओं को दिए। इन दोनों की गिरफ्तारी के बाद इनसे पूछताछ और कथित जानकारी के आधार पर कुछ और लोगों की गिरफ्तारी हो तो हैरानी नहीं होगी।