बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती ने जब से अपने भतीजे आकाश आनंद को राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर और अपने उत्तराधिकारी के पद से हटाया है तब से वे खुद प्रचार की कमान संभाल रही हैं। पहले वे सिर्फ रणनीति का काम देख रही थीं। अब उनकी चुनावी रैलियां बढ़ गई हैं। उन्होंने इस बार के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के बंटवारे का मुद्दा उठाया है, जो उनका पुराना और पसंदीदा मुद्दा रहा है। जब वे सरकार में थीं तब उन्होंने उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने का एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था लेकिन तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और उसने इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
अब मायावती फिर से वादा कर रही हैं कि अगर उनकी पार्टी जीती और केंद्र की सरकार का हिस्स बनी तो उत्तर प्रदेश का बंटवारा किया जाएगा ताकि प्रशासन को और चुस्त दुरुस्त बनाया जा सके। उन्होंने पहले चरण के चुनाव के समय वादा किया था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग हरित प्रदेश बनाया जाएगा। अब उन्होंने वादा किया है कि अलग बुंदेलखंड राज्य बनवाएंगी। एक अलग पूर्वांचल राज्य की मांग भी बहुत समय से हो रही है और तय मानें कि मायावती जब पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रचार करने जाएंगी तब वे पूर्वांचल राज्य का वादा करेंगी। लेकिन यह इतना आसान नहीं है। पूर्वांचल का गठन बिहार के कुछ जिलों को मिला कर होना है तो बुंदेलखंड का गठन मध्य प्रदेश के कुछ जिलों के साथ होगा। इसी तरह हरित प्रदेश में हरियाणा और राजस्थान के कुछ जिले भी शामिल हो सकते हैं।