भारतीय जनता पार्टी के सांसदों की चिंता बढ़ गई है। नई दिल्ली में 22 और 23 दिसंबर को हुई पार्टी पदाधिकारियों की दो दिन की बैठक की जो खबरें बाहर आई हैं उसने सांसदों की चिंता बढ़ा दी है। बताया जा रहा है कि बैठक में हर राज्य में लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा हुई। हालांकि उसमें उम्मीदवारों के बारे में बातचीत नहीं हुई है लेकिन ऐसा अंदाजा है कि पार्टी ने हर सीट की फीडबैक ली हुई है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि एंटी इन्कम्बैंसी कम करने के लिए पार्टी बड़ी संख्या में सांसदों की टिकट काटेगी। हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में भाजपा की जीत से भी सांसदों की चिंता बढ़ी है।
भाजपा के एक जानकार नेता का कहना है कि पार्टी ने सांसदों को लोकसभा चुनाव लड़ा कर उनकी लोकप्रियता का अंदाजा लगा लिया है। पार्टी ने 21 सांसदों को चुनाव लड़ाया था, जिनमें से 12 जीत पाए और नौ हार गए थे। सोचें, 40 फीसदी से ज्यादा सांसद अपने ही लोकसभा क्षेत्र की एक विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे। तभी कहा जा रहा है कि इसी अनुपात में सांसदों की टिकट कटने की संभावना है। इसका मतलब है कि भाजपा 40 फीसदी सांसदों की टिकट काट सकती है। बताया जा रहा है कि बहुत से सांसदों को बता दिया गया है कि पार्टी संगठन में काम करने के लिए तैयार रहें। जिन राज्यों में लोकसभा के बाद विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं उन राज्यों में कई सांसद खुद ही विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग गए हैं क्योंकि उनको पता है कि उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने को कहा जा सकता है।
इस बीच भाजपा ने अलग अलग एजेंसियों के सर्वेक्षणों के साथ साथ नमो ऐप पर सांसदों के बारे में फीडबैक लेनी शुरू की है। नमो ऐप के जरिए लोगों से पूछा जा रहा है कि उनके सांसद क्षेत्र में कितना दिखाई देते हैं, लोगों से मिलते-जुलते हैं या नहीं और लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता कैसी है। इसके अलावा हर सीट पर तीन संभावित उम्मीदवारों के भी नाम पूछे जा रहे हैं। जब से यह सर्वे शुरू हुआ तब से सभी सांसद अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा लोगों के फोन में नमो ऐप डाउनलोड कराने और अपने नाम पर मुहर लगवाने का अभियान चला रहे हैं। सांसद अपने समर्थकों से पॉजिटिव फीडबैक डलवा रहे हैं और साथ ही संभावित उम्मीदवारों में पहला नाम अपना डलवा रहे हैं। हालांकि उनको भी पता है कि यह पूरक सर्वे है। पार्टी नेतृत्व के पास हर सीट की फीडबैक पहले से है और उसका मिलान इससे किया जाएगा।
सांसदों की चिंता इस बात को लेकर है कि वे नमो ऐप के सर्वे को नियंत्रित नहीं कर पाएंगे। सांसदों के विरोधी और संभावित उम्मीदवार भी उतनी ही मेहनत कर रहे हैं। इसके अलावा आम लोग भी अपनी ईमानदार राय उस पर डाल रहे हैं। उनकी चिंता इस बात को लेकर भी है हर राज्य में पार्टी ने अपना समीकरण बैठाया है और उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ना है। इसलिए सांसदों का नाम ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है।