भारतीय जनता पार्टी ने बिहार की तरह उत्तर प्रदेश में भी सामाजिक संतुलन साधने के लिए कई छोटी पार्टियों से तालमेल किया है। अपना दल के साथ उसका पुराना तालमेल चल रहा है। पिछली बार भाजपा ने अपना दल को दो सीटें दी थीं और उसने दोनों सीटें जीती थीं, जिसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में अनुप्रिया पटेल की जगह बनी रही थी। इस बार भी माना जा रहा है कि वे अपने कोटे की सीटों पर लड़ेंगी। लेकिन भाजपा ने इस बारे में कुछ भी घोषित नहीं किया है। पिछले हफ्ते मंगलवार को अनुप्रिया पटेल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए वे मिली थीं।
बताया जा रहा है कि अनुप्रिया पटेल अपनी सीटें और भूमिका बढ़ाने की मांग कर रही हैं। ध्यान रहे उनकी मां कृष्णा पटेल और बहन पल्लवी पटेल विपक्षी गठबंधन के साथ हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में पल्लवी पटेल ने केशव प्रसाद मौर्य को हराया था। ऊपर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में सक्रियता बढ़ा रहे हैं। कोईरी-कुर्मी वोट को लेकर चल रही इस खींचतान में अनुप्रिया अपने लिए संभावना देख रही हैं।
भाजपा के दूसरे सहयोगी ओमप्रकाश राजभर भी पिछले हफ्ते भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले। समाजवादी पार्टी से तालमेल खत्म करके वे भाजपा के साथ वापस लौटे हैं। लेकिन भाजपा ने अभी तक उनके साथ सीटों के बारे में बात नहीं की। वे हवा में ही नौ सीट का दावा कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि भाजपा उनको एक-दो सीट में निपटना चाहती है। तीसरे सहयोगी संजय निषाद की भी बेचैनी बढ़ रही है। उनकी निषाद पार्टी का भाजपा से तालमेल है और संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद लोकसभा के सांसद हैं। भाजपा उनको भी एक ही सीट देना चाहती है। लेकिन बिहार के मल्लाह नेता मुकेश सहनी की सक्रियता के बहाने वे सीट बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने 13 जनवरी को रैली का आयोजन किया है, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी बुलाया है।