महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की लड़ाई अब दो लोगों के बीच की राजनीतिक लड़ाई में तब्दील हो गई है। मराठा आरक्षण के लिए हुए आंदोलन के बाद अन्य पिछड़ी जातियों के नेता सड़क पर उतरे हैं और एनसीपी के अजित पवार गुट के पिछड़े नेता छगन भुजबल ने उनके आंदोलन की कमान संभाली है। भुजबल ने जालना में रैली करके ताकत दिखाई और कहा कि अगर ओबीसी का कोटा कम करके मराठा आरक्षण दिया जाता है तो आंदोलन होगा। उसके बाद से मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल भी सक्रिय हो गए हैं और उन्होंने भुजबल के खिलाफ मोर्च खोल है। हालांकि भुजबल ने उनके खिलाफ कोई निजी टिप्पणी नहीं की है।
भुजबल की रैली के बाद मनोज पाटिल छत्रपति शिवाजी महाराजा की मूर्ति पर माल्यार्पण करने पहुंचे और वहां से भुजबल पर हमला किया। उन्होंने भुजबल के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। गौरतलब है कि भुजबल के ऊपर दिल्ली के महाराष्ट्र सदन के निर्माण में घोटाला करने का आरोप लगा था, जिस मामले में वे काफी समय तक जेल में रहे थे। मनोज पाटिल ने उसका मुद्दा उठा कर भुजबल पर हमला किया। इस हमले के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इसे कैसे लेती है क्योंकि भाजपा के लिए जितना जरूरी ओबीसी वोट है उतना ही जरूरी मराठा वोट भी है। वह किसी कीमत पर इस मामले को मराठा बनाम ओबीसी नहीं बनाना चाहेगी। गौरतलब है कि भुजबल राज्य की शिव सेना और भाजपा सरकार में मंत्री हैं। उन पर भ्रष्टाचार के आरोपों से सरकार की साख पर भी सवाल उठते हैं।