प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार में ज्यादा फेरबदल नहीं करते हैं। पहले की दो सरकारों में उन्होंने 10 साल में सिर्फ पांच बार कैबिनेट में फेरबदल या विस्तार किया। उनकी पहली सरकार का पहला विस्तार अपवाद था, जब सरकार गठन के सिर्फ छह महीने बाद ही उन्होंने सरकार का विस्तार किया था। यह भी इस वजह से हुआ था क्योंकि पहली सरकार में मोदी ने 26 मई 2014 को सिर्फ 45 मंत्रियों के साथ काम शुरू किया था। इसलिए नवंबर में नए मंत्री सरकार में शामिल किए गए। उसके बाद सरकार में फेरबदल का अंतराल बढ़ता गया। दूसरा बदलाव उन्होंने दो साल बाद जुलाई 2016 में किया। उसके बाद तीसरा बदलाव सितंबर 2017 में किया। मोदी की दूसरी सरकार का पहला बदलाव सरकार गठन के दो साल बाद जुलाई 2021 में हुआ। इस लिहाज से तीसरी सरकार में बदलाव की चर्चा थोड़ा पहले शुरू हो गई है। पिछले कई महीने से इस बात की चर्चा चल रही है कि सरकार के एक साल पूरे होने पर सरकार में फेरबदल होगी।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार गठबंधन की सरकार है और भाजपा के अलावा कई पार्टियों के मंत्री बनाने पड़े हैं इसलिए मंत्रिमंडल पूरा भरा हुआ है। प्रधानमंत्री सहित मंत्रिपरिषद में कुल 77 सदस्य हैं, जबकि अधिकतम 81 सदस्य हो सकते हैं। इसकी संभावना कम है कि प्रधानमंत्री मोदी मंत्रियों की संख्या 80 तक ले जाएंगे। इसका मतलब है कि मंत्रिमंडल से कुछ लोगों की छुट्टी होगी तभी कुछ नए लोग मंत्री बनाए जाएंगे। यानी नए मंत्रियों को लाने के लिए सरकार में जगह बनानी होगी। यह जगह सहयोगी पार्टी के मंत्रियों को हटा कर नहीं बनाई जा सकती है। जनता दल यू, लोजपा, हम, शिव सेना, टीडीपी, अपना दल, आरपीआई आदि के मंत्री बने रहेंगे। इसलिए भाजपा के कुछ नेताओं को हटा कर उनकी जगह नए मंत्री बनाए जाने की संभावना है।
जानकार सूत्रों के मुताबिक अगर अगले कुछ दिन में सरकार में फेरबदल होती है तो बिहार से कम से कम एक नया मंत्री बनेगा। किसी को हटाया नहीं जाएगा। भाजपा के जानकार सूत्रों का कहना है कि कई राजपूत मंत्री बनाया जा सकता है। राजीव प्रताप रूड़ी और जनार्दन सिगरीवाल में से कोई मंत्री बन सकता है। इसी तरह अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के हिसाब से जातियों का और क्षेत्रीय संतुलन बनाने के तहत पश्चिम बंगाल से किसी को मौका मिल सकता है। भाजपा के साथ एनडीए में नया सहयोगी जुड़ने की चर्चा है। संभव है कि शरद पवार की पार्टी एनसीपी अगले कुछ दिन में एनडीए का हिस्सा बने तो पवार की बेटी सुप्रिया सुले को मंत्री बनाया जा सकता है। तमिलनाडु से किसी को मंत्री बनाने में समस्या है क्योंकि वहां से कोई सांसद नहीं है और राज्यसभा का चुनाव अगले साल अप्रैल में होगा। अगर अन्ना डीएमके कृपा करके भाजपा को एक राज्यसभा की सीट दे देती तो के अन्नमलाई को राज्यसभा में लाकर केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता था। केरल के अपने इकलौते सांसद सुरेश गोपी को भाजपा ने मंत्री बनाया हुआ है। फिर भी शशि थरूर अगर कांग्रेस छोड़ते हैं तो उनके लिए मौका बना सकता है। हालांकि उसमें बहुत अगर मगर हैं।