Wednesday

30-04-2025 Vol 19

विशेष सत्र का असली एजेंडा क्या?

474 Views

संसद के विशेष सत्र का एक एजेंडा बुधवार की शाम को लोकसभा की ओर से एक सूचना के तौर पर जारी की गई। इसमें बताया गया कि सामान्य कामकाज यानी दस्तावेज आदि सदन के पटल पर रखे जाने के अलावा संसदीय प्रणाली की 75 साल की यात्रा, उपलब्धियों आदि के बारे में चर्चा होगी। इसमें कहा गया कि संविधान सभा से शुरू करके इसकी उपलब्धियों और इससे मिली सीख के बारे में चर्चा होगी। इसके अलावा चार सामान्य बिल पास कराए जाएंगे। इनमें से दो बिल- एडवोकेट संशोधन बिल और सावधि प्रकाशनों का पंजीकरण और प्रेस बिल पहले राज्यसभा से पास हो चुके हैं। बाकी दो बिल- चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति व सेवा शर्तों का बिल और पोस्ट ऑफिस बिल राज्यसभा में पेश किए गए थे और स्थायी समिति को नहीं भेजे गए थे। ये चारों बिल पास कराए जाएंगे।

लेकिन सवाल है कि क्या सिर्फ इसी के लिए 18 से 22 सितंबर तक पांच दिन का विशेष सत्र बुलाया जा रहा है? ऐसा नहीं लग रहा है। इस विशेष सत्र में जरूर कुछ ऐसा होना है, जो राजनीतिक असर के लिहाज से बहुत बड़ा फैसला होगा। क्योंकि अगर संसदीय व्यवस्था की 75 साल की यात्रा पर विस्तार से संसद में चर्चा कराना होता तो यह काम पिछले साल होता, जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा था। पिछले साल 15 अगस्त के आसपास या इस साल आजादी दिवस के आसपास इस पर चर्चा होनी चाहिए थी। इसी तरह जो चार बिल पास कराने की बात कही गई है उसमें से कोई भी बिल अति आवश्यक नहीं है। सब रूटीन के बिल हैं। चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का जहां तक मामला है तो उसमें भी सुप्रीम कोर्ट ने कोई सीमा नहीं लगाई है और अगले साल के पहले कोई नियुक्ति नहीं होनी है। इसलिए सरकार शीतकालीन सत्र में भी उस बिल को पास करा सकती थी।

तभी ऐसा लग रहा है कि जो एजेंडा पेश किया गया है वह दिखावे के लिए है। विपक्ष की ओर से बार बार कहा जा रहा था कि सरकार एजेंडा बताए। सरकार की ओर से सत्र शुरू होने से एक दिन पहले 17 सितंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। पहला कहा गया था कि उसमें एजेंडा बताया जाएगा। लेकिन उसके बाद लोकसभा की ओर से एक एजेंडा जारी किया गया। इसका मकसद अगले चार-पांच दिन विपक्ष को चुप कराना है। हालांकि विपक्षी पार्टियों को भी अंदाजा है कि यह रियल एजेंडा नहीं है।

पर सवाल है कि असली एजेंडा क्या है? सत्र से एक दिन पहले 17 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी अपने जन्मदिन के मौके पर नए संसद भवन पर झंडारोहन करेंगे। इसके बाद गणेश चतुर्थी के दिन यानी 19 सितंबर को नए संसद भवन में कामकाज शुरू होगा। ये दो काम ऐसे हैं, जिनका राजनीतिक मैसेज होगा। इसके अलावा आरक्षण, महिला आरक्षण, आरक्षण के भीतर आरक्षण से लेकर जातीय जनगणना तक के जितनी संभावनाओं की अटकलें पिछले दो हफ्ते से लगाई जा रही हैं, वो सब अब भी कायम हैं।

NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *