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हर चीज के लिए नेहरू या अडानी जिम्मेदार

एक बहुत दिलचस्प चीज देखने को मिल रही है। एक तरफ भाजपा के नेता हैं, जो हर चीज के लिए किसी न किसी तरह से देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराते हैं। वे किसी न किसी बहाने नेहरू का नाम खींच कर लाते हैं। अभी शीतकालीन सत्र में कश्मीर में विधानसभा सीटे आरक्षित करने के विधेयक पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर समस्या के लिए नेहरू को जिम्मेदार ठहराया, जिसे लेकर खूब चर्चा हो रही है। बहरहाल, दूसरी ओर कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों के नेता हैं, जो हर चीज के लिए अडानी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। अगर किसी विपक्षी नेता को राह चलते किसी पत्थर से ठोकर लग जाए तो वह उसके लिए भी अडानी को जिम्मेदार ठहरा देगा।

तृणमूल की नेता महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता गई है तो उन्होंने कहा है कि वे अडानी के खिलाफ बोलती थीं, इसलिए उनकी सदस्यता छीन ली गई है। हो सकता है कि यह भी एक कारण हो लेकिन यह इकलौता कारण नहीं है। वे फासीवाद पर भी बोलती रही हैं और संभव है कि उनकी मुश्किलों के पीछे कुछ निजी मामला भी हो। आखिर उन्होंने भी भाजपा के एक सांसद की डिग्री को लेकर इतना बवाल खड़ा किया था। महुआ से पहले मानहानि के मामले में सूरत की अदालत ने राहुल गांधी को सजा सुनाई और उनकी लोकसभा की सदस्यता रद्द हुई तो राहुल और कांग्रेस पार्टी दोनों ने कहा कि राहुल ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान अडानी-हिंडनबर्ग मामले को लेकर बोला था इसलिए उनकी सदस्यता गई। हालांकि वे 2019 के चुनाव में भी पूरा प्रचार अडानी विरोध पर ही कर रहे थे। सो, कह सकते हैं कि भाजपा के पास पंचिंग बैग नेहरू हैं तो कांग्रेस और विपक्ष के पास अडानी हैं।

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By NI Political Desk

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