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विपक्षी नेता ईडी से असहयोग करेंगे

विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ ने केंद्रीय एजेंसियों के साथ असहयोग करने का फैसला किया है। हालांकि इसके लिए कोई साझा रणनीति नहीं बनी है। पार्टियों ने अलग अलग फैसला किया है। कुछ पार्टियां अपवाद के लिए सहयोग कर सकती हैं और ईडी के बुलावे पर पूछताछ के लिए जा सकती हैं, जैसे तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी अभी तक दिखा रहे हैं। लेकिन ज्यादातर पार्टियों ने यह माहौल बनाना शुरू कर दिया है कि केंद्रीय एजेंसी सिर्फ उनको परेशान करने के लिए बुला रही है। इसके अलावा पार्टियों ने राज्यसभा में हुए जाट अपमान मुद्दे से सबक लेकर अपने मतदाता समूहों को भी मैसेज देना शुरू किया है कि राजनीतिक कारणों से उनको अपमानित किया गया है।

तभी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ईडी के बुलावे पर पूछताछ के लिए नहीं गए। ईडी ने उनको 21 दिसंबर को पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन वे 21 दिसंबर को विपश्यना के लिए निकल गए। बताया जा रहा है कि वे पंजाब में कहीं पर हैं और 10 दिन बाद लौटेंगे। उनके इस कार्यक्रम को देखते हुई ईडी ने अब उनको तीन जनवरी को पूछताछ के लिए बुलाया है। ज्यादा संभावना जताई जा रही है कि केजरीवाल ईडी के तीसरे समन पर भी पेश नहीं होंगे। उनको पहला समन दो नवंबर को पेश होने के लिए दिया गया था। शराब नीति घोटाले में ईडी को उनसे पूछताछ करनी है। इस बीच केजरीवाल का 24 नवंबर 2012 का एक ट्विट वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने लिखा है- मेरा सिर शर्म से झुक जाता है, जब मैं देखता हूं कि भ्रष्ट नेता सीबीआई और ईडी के कई समन के बावजूद पूछताछ के लिए नहीं जाते हैं। जैसे ही आरोप लगे उन्हें इस्तीफा देना चाहिए। खैर, उस समय वे नए थे और अब राजनीति सीख गए हैं।

केजरीवाल की तरह झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी ईडी के समन पर पूछताछ के लिए नहीं हाजिर हो रहे हैं। ईडी ने केजरीवाल को तो तीसरा समन जारी किया है लेकिन हेमंत को छह समन जारी हो चुके हैं। वे पिछले साल एक बार पूछताछ के लिए गए थे लेकिन उसके बाद छह समन के बावजूद ईडी के सामने नहीं हाजिर हुए। अब देखना है कि उनके खिलाफ सातवां समन जारी होता है या एजेंसी वारंट के लिए अदालत में जाती है और उनकी गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू करती है। गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू होने पर यह देखना भी दिलचस्प होगा कि वे इस्तीफा देते हैं या नहीं।

बहरहाल, केजरीवाल और हेमंत सोरेन की तरह बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी ईडी के सामने नहीं हाजिर हुए हैं। जमीन के बदले रेलवे में नौकरी देने के मामले में ईडी ने उनको 22 दिसंबर को पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन वे नहीं गए। इसी मामले में ईडी ने 27 दिसंबर को लालू प्रसाद यादव को बुलाया है। इस मामले में पहली बार ईडी ने लालू को बुलाया है। उनकी उम्र 75 साल है और उनकी किडनी बदली गई। स्वास्थ्य कारणों के आधार पर वे भी समय मांग सकते हैं। उनके भी ईडी के सामने हाजिर होने की संभावना कम है। उन्हें भी नया समन जारी किया जाएगा। इस तरह विपक्षी पार्टियों के असहयोग जारी रहेगा।

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