कांग्रेस नेता राहुल गांधी नौ दिसंबर यानी शनिवार को एक हफ्ते की विदेश यात्रा पर जाने वाले थे। चुनाव से पहले ही उनका दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के दौरे का कार्यक्रम बना हुआ था। वे वियतनाम, मलेशिया आदि देशों के दौरे पर जाने वाले थे। वहां उनको सेमिनार में हिस्सा लेना था और लोगों से मिलना था। लेकिन वह दौरा रद्द हो गया। कांग्रेस की ओर से इसका कोई कारण नही बताया गया है। माना जा रहा है कि राहुल गांधी का कार्यक्रम यह सोच कर बना था कि पांच राज्यों के चुनावों में कांग्रेस बहुत अच्छा प्रदर्शन करेगी और कम से कम तीन राज्यों में जीत कर सरकार बनाएगी। इस जीत का श्रेय राहुल को मिलेगा और ऐसे में वे एक विजेता के तौर पर विदेश दौरे पर जाएंगे। इससे पहले उनको विजेता के तौर पर विदेश दौरा करने का मौका नहीं मिला है। लेकिन कांग्रेस की सारी योजना चौपट हो गई क्योंकि कांग्रेस चार राज्यों में विधानसभा का चुनाव हार गई।
कांग्रेस के नेता दबी जुबान में इस बात का जिक्र कर रहे हैं कि नतीजों की वजह से राहुल की यात्रा रद्द हुई और दूसरे संसद का शीतकालीन सत्र भी चल रहा है इसलिए राहुल का दिल्ली में रहना जरूरी है। लेकिन इससे अलग एक और कारण बताया जा रहा है। कई नेताओं का कहना है कि सोशल मीडिया के दबाव में राहुल की यात्रा स्थगित हुई। असल में पांच राज्यों के नतीजे आते ही सोशल मीडिया में प्रचार होने लगा कि राहुल विदेश चले गए। वे एक दो दिन सार्वजनिक रूप से नहीं दिखे तो मीडिया समूहों ने भी लिखना शुरू कर दिया कि वे विदेश चले गए। इस पर कांग्रेस को बड़ी सफाई देनी पड़ी। तेलंगाना के नेता चुने गए रेवंत रेड्डी के साथ उनकी तस्वीर आई तब इस पर चर्चा थमी। लेकिन कांग्रेस को लगा कि अब भी संसद सत्र के बीच अगर वे विदेश जाते हैं तो सोशल मीडिया में यह बड़ा मुद्दा बनेगा। भले राहुल राजनीतिक काम से या ब्रांडिंग के लिए विदेश जा रहे हों लेकिन प्रचार होगा कि चुनावी हार के बाद राहुल विदेश गए। इससे फिर भाजपा को राहुल के अगंभीर नेता होने का नैरेटिव बनाने का मौका मिलेगा, जिसे कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले अफोर्ड नहीं कर सकती है।