भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा में 93 सांसद हैं। वह लंबे समय से एक सौ की संख्या तक पहुंचने का इंतजार कर रही है। बहुमत का आंकड़ा तो खैर अभी बहुत दूर है और वह तब तक संभव नहीं हो पाता है, जब तक दक्षिण भारत के राज्यों में भी समान रूप से किसी पार्टी का असर न हो। बहरहाल, पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा को मध्य प्रदेश में बड़ा बहुमत मिला है और राजस्थान में भी साधारण बहुमत से ज्यादा सीटें उसे मिल गई हैं। छत्तीसगढ़ में वह 15 से बढ़ कर 54 सीट पर पहुंच गई है। इसलिए वह राजस्थान और मध्य प्रदेश में अपनी सीटें बचा लेगी तो छत्तीसगढ़ में भी उसकी खाली हो रही एक सीट मिल जाएगी। अगले साल के दोवार्षिक चुनाव में छत्तीसगढ़ से भाजपा की सरोज पांडे रिटायर हो रही हैं। वह सीट फिर से भाजपा को मिल जाएगी।
अगले साल के चुनाव में पूरे देश में भाजपा को समर्थन देने वाले मनोनीत सदस्यों सहित भाजपा के 32 राज्यसभा सांसद रिटायर हो रहे हैं। इनमें से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात महाराष्ट्र आदि राज्यों में भाजपा अपनी सीटें बचा लेगी। पांच सीटें उन राज्यों में हैं, जहां तीन दिसंबर को नतीजे आए हैं। ये सभी पांच सीटें भाजपा को वापस मिल जाएंगी। छत्तीसगढ़ में उसकी एक सीट बच जाएगी। मध्य प्रदेश में उसके तीन सांसद- एल मुरुगन, अजय प्रताप सिंह और कैलाश सोनी रिटायर हो रहे हैं। ये तीनों सीटें भाजपा को फिर मिल जाएंगी। उधर राजस्थान में भूपेंदर यादव रिटायर हो रहे हैं। वह सीट भी भाजपा को मिल जाएगी। इस साल कर्नाटक में भी विधानसभा का चुनाव हुआ, जहां भाजपा को नुकसान हुआ है। वहां से भाजपा के राजीव चंद्रशेखर रिटायर हो रहे हैं और वह सीट भाजपा को वापस मिल जाएगी। उसकी सहयोगी जेडीएस के एचडी देवगौड़ा भी रिटायर हो रहे हैं। अगर वे लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ते और जीतते हैं तो उनको भी राज्यसभा पहुंचाने का जिम्मा भाजपा का ही होगा।