nayaindia ram mandir inauguration मोदी प्रधान यजमान क्यों नहीं बने

मोदी प्रधान यजमान क्यों नहीं बने

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के यज्ञ में प्रधान यजमान नहीं होंगे। प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि वे रहेंगे और भगवान की आंख खुलने पर उनको आईना प्रधानमंत्री मोदी ही दिखाएंगे लेकिन पूजा पर वे नहीं बैठेंगे। सवाल है कि जब मंदिर का शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी ने किया और उस समय हुए यज्ञ में वे प्रधान यजमान थे तो मंदिर के उद्घाटन में वे क्यों प्रधान यजमान नहीं बने? पहले कहा जा रहा था कि वे ही यजमान होंगे और प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की शुरुआत वे करेंगे। संभवतः इसलिए ही उन्होंने 11 दिन का अनुष्ठान भी शुरू किया था। लेकिन अचानक सब बदल गया और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से जुड़े अनिल मिश्र और उनकी पत्नी उषा मिश्र प्रधान यजमान बनाए गए हैं।

सवाल है कि क्या शंकराचार्यों के विरोध की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पीछे हट गए? शंकाराचार्यों का विरोध इस बात को लेकर है कि अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हो रही है और इसे राजनीतिक समारोह बना दिया गया है। लेकिन सिर्फ इतनी ही बात को शास्त्र विरूद्ध नहीं माना जा रहा है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के बिना पत्नी के यजमान बनने पर भी आपत्ति की गई है। इतना ही नहीं कई ओबीसी बौदधिक इस घटना को यह मोड़ भी दे रहे हैं कि प्रधानमंत्री की जाति की वजह से उनके नाम पर आपत्ति की गई और इस वजह से प्राण प्रतिष्ठा को शास्त्रोक्त नहीं माना गया। अगर ऐसा है तो यह बेहद शर्मनाक है और समूचे हिंदू धर्म पर कलंक की तरह है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि राममंदिर प्रधानमंत्री मोदी का उद्यम है। भले सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मंदिर बन रहा है लेकिन सरकार और मोदी की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है। फिर भी वे प्रधान यजमान नहीं बने हैं तो ऐसा लग रहा है कि वे पिछले कई दिनों से चल रहे विवाद को समाप्त करना चाह रहे हैं। उनको लग रहा है कि प्राण प्रतिष्ठा के शास्त्रसम्मत नहीं होने का विवाद अगर बढ़ता है तो नुकसान हो सकता है। यह विवाद पूरी तरह से तो समाप्त नहीं होगा लेकिन उनके प्रधान यजमान नहीं बनने से काफी हद तक इसका स्वर मद्धम पड़ जाएगा।

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