समाजवादी नेता और देश के उप प्रधानमंत्री रहे चौधरी देवीलाल की जयंती इस बार खामोशी से गुजर गई। चौटाला परिवार के सदस्यों के अलावा सिर्फ इंडियन नेशनल लोकदल के नेता और कार्यकर्ता ही इस कार्यक्रम में शरीक हुए। हरियाणा के कई बार मुख्यमंत्री रहे चौधरी देवीलाल की जयंती 25 सितंबर को थी। हर साल की भांति इस साल भी उनकी जयंती के अवसर पर कार्यक्रम हुआ और रैली भी हुई, लेकिन कोई खबर नहीं बनी। तभी दो दिन के बाद 27 सितंबर को पार्टी की ओर से अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन देकर इसके बारे में बताना पड़ा।
आमतौर पर चौधरी देवीलाल की जयंती पर समाजवादी नेताओं का जमावड़ा होता है। परिवार के करीबी माने जाने वाले जनता दल यू के नेता केसी त्यागी बाहर के तमाम समाजवादी नेताओं को जुटाते हैं। नीतीश कुमार या उनकी पार्टी का कोई न कोई नेता इसमें शामिल होता रहा है। लालू प्रसाद और मुलायम सिंह यादव के साथ भी देवीलाल के बहुत अच्छे संबंध थे और उनकी पार्टियों से भी नेता उनकी जयंती के कार्यक्रम में शामिल होते थे। यहां तक कि तेलुगू देशम पार्टी के नेता भी आते थे। लेकिन इस बार कोई नहीं आया। इसका एक कारण तो यह बताया जा रहा है कि बिहार के नेता चुनाव में बिजी थे। लेकिन असली कारण यह है कि अब न तो प्रकाश सिंह बादल हैं, न शरद यादव हैं और न मुलायम सिंह यादव हैं। लालू प्रसाद भी बीमार हो गए हैं और नीतीश भी एक तरह से अशक्त हो चले हैं। इनकी पार्टियों में दूसरी पीढ़ी के नेताओं को ऐसी किसी परंपरा से कोई सरोकार नहीं दिख रहा है।