पहलगाम कांड के बाद पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों पर भारत की सैन्य कार्रवाई के दौरान तुर्किए ने पाकिस्तान की मदद की थी। उसने पाकिस्तान को सिर्फ नैतिक या कूटनीतिक समर्थन नहीं दिया था, बल्कि हथियार और तकनीक से मदद की थी। इसके बाद भारत में तुर्किए के बहिष्कार का अभियान शुरू हुआ था। तुर्किए के राष्ट्रपति से पहले कभी मिले फिल्म अभिनेता आमिर खान को देशद्रोही ठहराया जा रहा था। लोगों ने तुर्किए की टिकट्स रद्द कराई थीं और कारोबार बंद करने की बातें हो रही थीं। दावा किया जा रहा था कि भारत के पर्यटक अगर वहां जाना बंद कर दें और कारोबार ठप्प हो तो तुर्किए की कमर टूट जाएगी। भारत की विमानन कंपनी इंडिगो पर दबाव डाला जा रहा था कि वह टर्किश एयरलाइन के साथ करार खत्म करे।
लेकिन अब अचानक यह अभियान थम गया है। कहीं इसकी चर्चा नहीं सुनाई दे रही है। हालांकि ऐसा नहीं है कि फिर पहले की तरह पर्यटक जाने लगे हैं लेकिन उतना आक्रामक अभियान नहीं चल रहा है। इसका कारण यह है कि भारत सरकार नहीं चाहती है कि तुर्किए के साथ संबंध एक सीमा से ज्यादा बिगड़े। असल में दुनिया के बहुत कम देश ऐसे हैं, जिनके साथ कारोबार में भारत का फायदा होता है। ज्यादातर देशों के साथ कारोबार में भारत आयात ज्यादा करता है और निर्यात कम यानी व्यापार घाटा भारत को होता है। तुर्किए के साथ भारत आयात कम और निर्यात ज्यादा करता है। इसलिए व्यापार घाटे की बजाय भारत को मुनाफा होता है। भारत का तुर्किए के साथ 2.73 बिलियन डॉलर का सरप्लस व्यापार होता है। यानी भारत आयात के मुकाबले करीब 25 हजार करोड़ रुपए का निर्यात ज्यादा करता है। इसलिए तुर्किए का विरोध करके देशभक्ति दिखाने का अभियान अब बंद होने वाला है।