यह कमाल तीन दिन पहले शनिवार को हुआ। अचानक देश भर की मीडिया में खबर चलने लगी कि बिहार में भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के बीच सीट बंटवारा हो गया। सूत्रों के हवाले से सभी चैनलों, वेबसाइट्स, यूट्यूब प्लेटफॉर्रम्स आदि पर सीट बंटवारा का फॉर्मूला समझाया जाने लगा। बताया गया है कि 102 से 103 सीट जनता दल यू को मिलेगी, 101 से 102 सीट भाजपा लड़ेगी, 25 से 28 सीटें लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास को मिलेंगी और बाकी सीटें जीतन राम मांझी व उपेंद्र कुशवाहा को मिलेंगी। इस फॉर्मूले के मुताबिक कुशवाहा की आरएलएम और मांझी की हम को चार-चार या पांच-पांच सीटें मिलेंगी। कहा गया कि पटना में इसे लेकर बात हुई है और सहमति बन गई है। हालांकि पटना में किन नेताओं की बातचीत इसका जिक्र नहीं किया गया। अब स्थिति यह है कि सबने चुप्पी साध ली है। जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की ओर से बताया गया है कि ये दोनों ऐसी किसी बैठक में शामिल ही नहीं थे, जहां सीट बंटवारे का यह फॉर्मूला तय हुआ है।
उधर जनता दल यू के भी कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा पिछले 15 दिन से बिहार नहीं गए। वे विदेश गए भारतीय नेताओं के एक डेलिगेशन का नेतृत्व कर रहे थे और 10 दिन की यात्रा से लौटने के बाद भी वे दिल्ली में रूके क्योंकि डेलिगेशन की मुलाकात पहले विदेश मंत्री से हुई और उनको प्रधानमंत्री से मिलना है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार हैं, जो किसी से बातचीत करने की स्थिति में नहीं हैं। इसलिए जदयू के नेता भी हैरान थे इस फॉर्मूले और इसकी बातचीत से। तभी कहा जा रहा है कि यह फॉर्मूला भाजपा के कुछ नेताओं की ओर से मीडिया को दिया गया। योजना के तहत एक साथ हर जगह खबर भेजी गई। हर वेबसाइट पर एक जैसी खबर थी। हर जगह अंग्रेजी, हिंदी की खबर में कॉमा, फुलस्टॉफ भी नहीं बदला था। कहा जा रहा है कि भाजपा अंदाजा लगा रही है कि ऐसे किसी फॉर्मूले पर सहयोगी पार्टियां किस तरह से प्रतिक्रिया देती हैं। अभी कोई भी पार्टी इस फॉर्मूले से सहमत नहीं है।