भारतीय जनता पार्टी राज्यसभा में अपने सांसदों की संख्या बढ़ाने के लिए सहयोगी पार्टियों के कोटे की सीटों पर भी अपने नेताओं को राज्यसभा भेज रही है लेकिन असम में उसने अपनी सहयोगी असम गण परिषद के साथ ऐसा नहीं किया है। भाजपा ने असम गण परिषद को उसके हिस्से की एक राज्यसभा सीट छोड़ दी है। सोचें, इससे पहले भाजपा ने आंध्र प्रदेश में अपने सहयोगी चंद्रबाबू नायडू की मदद से दो राज्यसभा सांसद वहां से भेजे हैं, जबकि वहां विधानसभा में भाजपा के सिर्फ आठ विधायक हैं। तमिलनाडु में भी भाजपा चाहती थी कि अन्ना डीएमके एक सीट उसको दे दे, जहां से वह अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई को राज्यसभा भेज सके। लेकिन असम में उसने अगप की सीट के साथ छेड़छाड़ नहीं की है।
गौरतलब है कि असम में जून 2019 में हुए दोवार्षिक चुनाव में भाजपा गठबंधन के कोटे में दो सीटें आई थीं, जिनमें से एक सीट भाजपा ने असम गण परिषद को दी थी। उसने बीरेंद्र प्रसाद बैश्य को राज्यसभा भेजा था। इस बार भी भाजपा ने अगप के लिए एक सीट छोड़ दी है और उसने बैश्य को ही फिर से राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। भाजपा ने अपने कोटे से कणाद पुरकायस्थ को उम्मीदवार बनाया है। सोचें, 126 सदस्यों वाली असम विधानसभा में भाजपा के 64 विधायक हैं और उसे अपने दम पर पूर्ण बहुमत है। दूसरी ओर असम गण परिषद के सिर्फ आठ विधायक हैं। फिर भी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की मजबूरी में भाजपा ने अगप को एक सीट दी है। असम में लगातार दो बार से चुनाव जीत रही भाजपा इस बार मुश्किल में दिख रही है। इसलिए अगप और यूपीपीएल के साथ तालमेल को बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है।