पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव अभी एक साल बाद होने हैं लेकिन भाजपा ने अभी से चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी के एक जानकार नेता का कहना है कि पिछले साल लोकसभा चुनाव में भाजपा बहुत लापरवाह हो गई थी और पार्टी के शीर्ष नेताओं से लेकर नीचे तक सब सोचने लगे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले कोई नेता नहीं है। इसलिए उनके करिश्मे और पार्टी की ओर से बनाए गए राममंदिर के नैरेटिव में चुनाव जीत जाएंगे। लेकिन जब भाजपा को 63 सीटों का नुकसान हुआ और कांग्रेस की सीटें दोगुनी हो गईं तब सबकी नींद खुली और उसके बाद पार्टी वापस अपने पुराने रूप में लौटी। उसने लोकसभा के बाद हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मोदी के करिश्मे और नैरेटिव के साथ साथ माइक्रो मैनेजमेंट किया और तीन राज्यों, महाराष्ट्र, हरियाणा व दिल्ली में सरकार बनाई। जम्मू कश्मीर में भी उसकी सीटें बढ़ीं। सिर्फ एक झारखंड में वह हारी। तभी पार्टी ने अगले साल पांच राज्यों के चुनाव का माइक्रो मैनेजमेंट अभी से शुरू कर दिया है।
चुनाव में हार जीत अलग बात है लेकिन भाजपा हर बार दिखाती है कि चुनाव कैसे लड़ा जाता है। उसके शीर्ष नेताओं ने अभी से चुनावी राज्यों में भागदौड़ शुरू कर दी है, प्रादेशिक पार्टियों के साथ तालमेल और सीट शेयरिंग की बातें शुरू कर दी हैं और गठबंधन को मजबूत करने के प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। इसी प्रयास के तहत भाजपा ने अन्ना डीएमके से तमिलनाडु में तालमेल किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद तालमेल की घोषणा के लिए चेन्नई गए थे और अब फिर उन्होंने मदुरै का दौरा किया है और अगले साल राज्य में सरकार बनाने का दावा किया है। कहा जा रहा है कि भाजपा ने दखल देकर अपनी सहयोगी पीएमके में चल रहा झगड़ा सुलझाया है। गौरतलब है कि पीएमके के संस्थापक एस रामदॉस ने अपने बेटे और पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबुमणि रामदॉस को हटा दिया था और खुद पार्टी अध्यक्ष बन गए थे। दोनों पिता-पुत्र में झगड़ चल रहा था लेकिन अमित शाह के दौरे के बाद खबर आई है कि रामदॉस पिता-पुत्र का मसला काफी हद तक सुलझ गया है। पार्टी एनडीए में रहेगी और दोनों मिल कर सीट शेयरिंग की बातचीत करेंगे।
इसी तरह पिछले 10 दिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का पश्चिम बंगाल का दौरा हुआ है। मोदी ने अलीपुरद्वार में 29 मई को सभा की तो उसके बाद जून के पहले हफ्ते में अमित शाह दो दिन के दौरे पर पहुंचे। मोदी और शाह किसी तरह से पार्टी के आंतरिक मतभेद खत्म कराने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा ममता सरकार को मुस्लिमपरस्त साबित करने के सारे उपाय हो रहे हैं। पड़ोसी राज्य असम में भाजपा ने राज्यसभा की एक सीट सहयोगी पार्टी असम गण परिषद के लिए छोड़ी है। केरल में सबने देखा है कि कैसे भाजपा ने तिरूवनंतपुरम के कांग्रेस सांसद शशि थरूर के जरिए अपना नैरेटिव बनाने का प्रयास किया है। लोकसभा में चुनाव में भाजपा का खाता खुला था और इस बार वह विधानसभा चुनाव में चमत्कारिक प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है। ध्यान रहे अगले साल इस चार बड़े राज्यों, पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु और केरल में चुनाव होने हैं। पुड्डुचेरी में भी चुनाव होगा लेकिन वह पूरी तरह से तमिलनाडु की राजनीति से जुड़ा है।