कांग्रेस की छात्र शाखा एनएसयूआई के प्रभारी कन्हैया कुमार का अता पता नहीं है। लोकसभा चुनाव हारने के बाद से वे लापता हैं। पिछले करीब तीन महीने में देश में अनेक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम हुए हैं। एससी, एसटी के आरक्षण में वर्गीकरण के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लेकर लैटरल एंट्री के जरिए सरकार में बहाली, वक्फ बोर्ड कानून में बदलाव का बिल, पेंशन की नई योजना आदि का मामला आया है। इन पर कहीं भी कन्हैया कुमार की टिप्पणी देखने या सुनने को नहीं मिली। पहले वे हर मसले पर टेलीविजन चैनलों पर दिखाई देते थे। किसी भी मसले पर बात करने के लिए वे न्यूज चैनलों की पहली पसंद थे। लेकिन अब वे किसी चैनल पर नहीं दिखाई दे रहे हैं और न किसी कार्यक्रम में दिख रहे हैं।
सवाल है कि क्या कांग्रेस से उनका मोहभंग हो रहा है? या कांग्रेस ने उनको चुप रहने को कहा है? गौरतलब है कि वे देश की सबसे पुरानी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीआई से जुड़े थे और उसके छात्र विंग एआईएसएफ की ओर से जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे। उसके बाद सीपीआई ने उनको सचिव बना दिया था और 2019 में सीपीआई की टिकट पर बिहार की बेगूसराय सीट से चुनाव लड़े थे। वहां हारने के बाद उनका मोहभंग हुआ और वे कांग्रेस में चले गए। कांग्रेस ने उनको एनएसयूआई का प्रभारी बनाया और 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तरी पूर्वी दिल्ली सीट पर उम्मीदवार बनाया। भाजपा के मनोज तिवारी ने उनको हरा दिया। उसके बाद से वे लापता हैं। दो राज्यों में चुनाव चल रहे हैं और दो अन्य राज्यों में चुनाव होने वाले हैं लेकिन वहां भी उनका कोई कार्यक्रम दिखाई नहीं दे रहा है।