मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर के दूसरे चरण का अभियान मुश्किल में पड़ता दिख रहा है। ऐसा सिर्फ विपक्षी पार्टियों के शासन वाली सरकारों के कारण नहीं हो रहा है, बल्कि अचानक कई ऐसे कारण दिखने लगे हैं, जो बिहार में नहीं दिखे थे। जैसे बिहार में कहीं से यह खबर नहीं आई कि अत्यधिक काम के दबाव में बूथ लेवल ऑफिसर यानी बीएलओ ने खुदकुशी कर ली या नाम कटने के डर से किसी मतदाता ने आत्महत्या कर ली या कोई घर छोड़ कर गायब हो गया। लेकिन दूसरे चरण में जिन राज्यों में एसआईआर हो रहा है, वहां से ये सारी खबरें आ रही हैं।
खबर है कि अभी तक अलग अलग राज्यों में 16 बीएलओ की जान जा चुकी है। सबसे ज्यादा चार चार बीएलओ की मौत गुजरात और मध्य प्रदेश में हुई है। पश्चिम बंगाल में तीन बीएलओ की मौत हुई है जिनमें से दो ने खुदकुशी की है। एक बीएलओ वहां लापता है। इसके अलावा एक दर्जन लोगों की मौत नाम कटने के डर से हो जाने की खबर है। राजस्थान में दो और तमिलनाडु व केरल में एक एक बीएलओ की मौत हुई है। कहा जा रहा है कि काम के बहुत दबाव की वजह से ये मौतें हो रही हैं। इसके बावजूद मतगणना प्रपत्र जमा होने की रफ्तार उम्मीद से बहुत कम है। एसआईआर शुरू होने के 20 दिन बाद केरल में सिर्फ साढ़े 10 पीसदी मतगणना प्रपत्र ही अपलोड हो पाए हैं। उत्तर प्रदेश में सिर्फ 14 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 34 और तमिलनाडु में 35 फीसदी प्रपत्र ही अपलोड हो पाया है। अगले 10 दिन में यह आंकड़ा सौ फीसदी तक कैसे पहुंचेगा? राजस्थान एकमात्र राज्य है, जहां 50 फीसदी से ज्यादा प्रपत्र अपलोड हुआ है।


