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बिहार में भाजपा सबसे ज्यादा बेचैन!

ByNI Political,
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भारतीय जनता पार्टी वैसे तो 2024 के लोकसभा चुनाव में कई राज्यों में अपनी संभावना को लेकर चिंता में है लेकिन सबसे ज्यादा बेचैनी बिहार को लेकर है। बिहार में भाजपा को लग रहा है कि अगर राजद, जदयू और कांग्रेस का तालमेल बना रहा तो विधानसभा की तरह लोकसभा में भी उसके लिए कोई गुंजाइश नहीं रहेगी। इसलिए किसी तरह से राजद और जदयू का तालमेल तुड़वाने का प्रयास चल रहा है। मंत्री पद से हटाए गए राजद के नेता सुधाकर सिंह लगातार नीतीश कुमार के खिलाफ बयान दे रहे हैं और भाजपा के नेता दावा कर रहे हैं लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के कहने पर वे नीतीश को अपमानित कर रहे हैं।

इस बीच भारतीय जनता पार्टी की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि नीतीश कुमार एक बार फिर भाजपा के साथ जुड़ सकते हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी किए बिना एनडीए में वापस लौटेंगे क्योंकि उनको पता है कि भाजपा इस बार उनको मुख्यमंत्री पद नहीं देगी। तभी यह प्रचार किया जा रहा है कि नीतीश कुमार केंद्र सरकार में मंत्री बनेंगे और बिहार में भाजपा का मुख्यमंत्री होगा। भाजपा सूत्रों के हवाले से जो प्रचार कर रही है उसमें सबसे बड़ी बात यह कही जा रही है कि नीतीश कुमार भाजपा पर दबाव डाल रहे हैं कि वह सुशील कुमार मोदी को मुख्यमंत्री बनाए।

ध्यान रहे सुशील मोदी के साथ नीतीश के बहुत सहज और करीबी संबंध रहे हैं और इस वजह से सुशील मोदी भाजपा के मौजूद आलाकमान की आंखों में खटकते रहे हैं। उनको 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद इसी वजह से उप मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया और सांसद बन कर वे दिल्ली आए तो केंद्र में मंत्री भी नहीं बनाया गया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और बिहार के मुद्दों को लेकर लगातार सक्रिय रहे। कहा जा रहा है कि वे इस बात का आधार तैयार कर रहे हैं कि नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी हो और साथ ही जाति जनगणना के नतीजों का भी फायदा एनडीए को मिले।

इसके लिए सुशील मोदी लगातार दावा कर रहे हैं कि जातीय जनगणना का फैसला महागठबंधन सरकार का नहीं है, बल्कि एनडीए की सरकार ने किया था। पहले भाजपा के कुछ नेताओं ने जाति जनगणना का विरोध किया लेकिन अब सब चुप हो गए हैं। अब सिर्फ सुशील मोदी बयान दे रहे हैं और ट्विट कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा ताकि अगर फिर जदयू और भाजपा साथ आएं तो जाति जनगणना का श्रेय एनडीए को मिले और अगले चुनाव में उसका फायदा भी हो। हालांकि भाजपा नेताओं की ओर से किए जा रहे इस दावे का कोई आधार दिख नहीं रहा है। यह भी सही है कि नीतीश ने इस बार जिस दावे के साथ कहा है कि वे फिर भाजपा के साथ नहीं जाएंगे उसे देखते हुए उनकी वापसी मुश्किल है। ऊपर से जाति जनगणना के सहारे वे लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबक सिखाने का संकल्प किए हुए हैं। तभी जदयू के जानकार सूत्रों का कहना है कि अगर वापसी होगी भी तो लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबक सिखाने के बाद। एक दिलचस्प बात यह भी है कि बिहार भाजपा का ही एक गुट नीतीश की एनडीए में वापसी और सुशील मोदी के मुख्यमंत्री बनने के दावे का खंडन कर रहा है।

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