बिहार में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की उम्मीद बहुत बढ़ गई है। लालू प्रसाद के परिवार के खिलाफ और खासतौर से उनके बेटे और राज्य के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ हुई कार्रवाई से भाजपा को अपने लिए संभावना दिख रही है। जमीन के बदले नौकरी के मामले में तेजस्वी के यहां प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने छापा मारा और उससे सीबीआई ने उनको पूछताछ के लिए बुलाया तो अब बिहार भाजपा के नेताओं को लग रहा है कि वे गिरफ्तार हो सकते हैं। ऐसे में राजद के नेता हर हाल में तेजस्वी को गिरफ्तारी से बचाने का प्रयास करेंगे तो नीतीश कुमार उनसे दूरी बनाने का प्रयास कर सकते हैं। इस बीच बिहार भाजपा के नेताओं ने दोनों पार्टियों में फूट डालने का प्रयास शुरू कर दिया है।
बिहार भाजपा के सबसे बड़े नेता और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने एक के बाद एक कई ट्विट करके कहा कि तेजस्वी के यहां छापा मारे जाने और उनकी गिरफ्तारी की संभावना से जदयू खेमे में जश्न का माहौल है। वे बता रहे हैं कि जदयू नेता तेजस्वी की गिरफ्तारी की आस लगाए बैठे हैं ताकि उनके पकड़े जाने के बाद नीतीश कुमार की 2025 तक की राह निष्कंटक हो जाए। असल में भाजपा को लग रहा है कि इस मसले पर दोनों पार्टियों में 2017 की तरह दूरी बनती है तो नीतीश फिर एनडीए खेमे में लौट सकते हैं। नीतीश के अपने करीबी लोग भी ऐसा ही चाहते हैं। ध्यान रहे भाजपा पहले भी कह चुकी है कि नीतीश कुमार की इसी शर्त पर एनडीए में वापसी होगी कि वे बिहार में भाजपा का मुख्यमंत्री बनवाएं। ध्यान रहे समूची हिंदी पट्टी या उत्तर, मध्य और पश्चिम भारत में बिहार इकलौता राज्य है, जहां भाजपा का मुख्यमंत्री नहीं बना है। इस बार भाजपा के नेता इसकी उम्मीद कर रहे हैं।