बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यू के नेता नीतीश कुमार और राजद नेता तेजस्वी यादव क्या संकेत दे रहे हैं? नीतीश ने कांग्रेस पार्टी की ओर से दिया गया न्योता ठुकरा दिया है, जबकि तेजस्वी के जाने की भी संभावना नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने श्रीनगर में 30 जनवरी को होने वाले भारत जोड़ो यात्रा के समापन कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए दोनों पार्टियों को न्योता भेजा था। लेकिन जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने इस कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया। उन्होंने यात्रा की तारीफ की और शुभकामना दी लेकिन इसमें शामिल होने के सवाल पर कहा कि उनको नगालैंड में पार्टी के चुनाव अभियान की शुरुआत करने जाना है।
सबको पता है कि यह एक बहाना है। फिर भी ललन सिंह ने एक बहाना देकर अपने को कांग्रेस के कार्यक्रम से दूर किया। लेकिन लगता है कि नीतीश कुमार को बहाना रास नहीं आया और इसलिए उन्होंने दो टूक अंदाज में कहा कि भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस का आंतरिक कार्यक्रम है और इससे जदयू का कोई मतलब नहीं है। वे विपक्ष के संभवतः इकलौते बड़े नेता हैं, जिन्होंने राहुल के नेतृत्व में हो रही कांग्रेस की यात्रा के बारे में कोई सकारात्मक टिप्पणी नहीं की है और न बाकी विपक्षी नेताओं की तरह उन्होंने राहुल को शुभकामना आदि दी है। राजद के नेता भी अभी तक बाकी सहयोगियों की तरह कहीं यात्रा में शामिल नहीं हुए हैं।
सवाल है कि दोनों क्या संदेश देना चाहते हैं? कांग्रेस उनकी सरकार में शामिल है और वे कांग्रेस के साथ गठबंधन में दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नीतीश और तेजस्वी दिल्ली आए तो सोनिया गांधी से मिल कर गए थे। इसके बाद भी वे कांग्रेस से दूरी दिखा रहे हैं। नीतीश और तेजस्वी दोनों की पार्टी कांग्रेस की यात्रा से अभी तक दूर रहे हैं। क्या दोनों प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस को उसकी जगह दिखा रहे हैं ताकि कांग्रेस ज्यादा सीट न मांगे या किसी दबाव में दूरी बनाए हुए हैं?