nayaindia Lok Sabha Elections difference plan BJP Congress भाजपा और कांग्रेस की चुनावी योजना का फर्क

भाजपा और कांग्रेस की चुनावी योजना का फर्क

सबको दिख रहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा की तरह तो नहीं लेकिन कांग्रेस ने भी अपने स्तर पर चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। परंतु दोनों की तैयारियों और दोनों की रणनीति में दिन और रात का फर्क है। दोनों की रणनीति का फर्क बहुत दिलचस्प है। एक तरफ जहां भाजपा अपनी कमजोर सीटों को लक्ष्य करके चुनाव की तैयारी कर रही है वहीं कांग्रेस अपनी मजबूत सीटों को टारगेट करके चुनावी तैयारी कर रही है। कांग्रेस को अपनी जीती हुई 303 सीटों से ज्यादा पिछली बार हारी हुई 144 सीटों की चिंता है, जबकि कांग्रेस को अपनी हारी हुई साढ़े तीन सौ से ज्यादा सीटों के मुकाबले जीती हुई 52 सीटों की चिंता है।

भाजपा में प्रधानमंत्री की रैलियों के कार्यक्रम अभी से बन गए हैं। बताया जा रहा है कि इस साल के अंत तक देश के अलग अलग हिस्सों में उनकी एक सौ रैलियां होनी हैं। पार्टी की ओर से 74 हजार से कुछ ज्यादा कमजोर बूथ की पहचान की गई है, जिन्हें मजबूत करने का काम चल रहा है और पिछले चुनाव में भाजपा जिन सीटों पर दूसरे या तीसरे स्थान पर रही थी वैसी 144 सीटों पर केंद्रीय मंत्री काम कर रहे हैं। इसके अलावा बिहार में 2019 के चुनाव में जदयू के लिए छोड़ी गई 17 लोकसभा सीटों पर भी काम चल रहा है। इस तरह भाजपा 161 सीटों पर फोकस किए हुए है, जहां वह पिछली बार हारी थी।

असल में भाजपा को अपनी जीती हुई 303 सीटों को लेकर बहुत भरोसा है और ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें से ढाई से करीब सीटें पार्टी ने ऐसे राज्यों में जीती है, जहां उसके कोर हिंदू वोट का कंसोलिडेशन पूरा हो गया है। पहले से अपने मजबूत असर वाले इन राज्यों में भाजपा ने ऐसी स्थिति बना ली है कि उसे कम से कम लोकसभा चुनाव में हराया नहीं जा सकता है। पिछली बार जीती कुछ ही सीटें हैं, जहां भाजपा को चिंता है इसमें बिहार, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक की सीटें खास तौर से शामिल हैं। तभी वह 161 सीटों पर फोकस किए हुए है ताकि 303 में से कुछ सीट हारे तो उधर से भरपाई हो।

इसके बरक्स कांग्रेस में पहले चरण में उन 52 सीटों पर फोकस कर रही है, जहां वह पिछली बार जीती थी। पार्टी की चिंता इन सीटों को बचाने की है। दूसरे चरण में पार्टी दो सौ से कुछ ज्यादा ऐसी सीटों पर काम करेगी, जहां वह पिछली बार दूसरे नंबर पर रही थी। मजबूत सीटों को ध्यान में रख कर ही कांग्रेस ने उन्हीं इलाकों में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का फोकस करवाया। तमिलनाडु, केरल और तेलंगाना इन तीन राज्यों में ही कांग्रेस की आधी यानी 26 सीटें हैं। इसके अलावा कर्नाटक की 28 सीटों कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। अगले चुनाव में अपनी स्थिति में सुधार के लिए वह पूरी तरह से दक्षिण भारत पर निर्भर है। इसके लिए राहुल फिर केरल में लड़ेंगे और इस काम में मल्लिकार्जुन खड़गे भी काम आएंगे।

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