nayaindia BJP Lok Sabha Election Nitish Kumar बिहार में भाजपा का पुराना समीकरण

बिहार में भाजपा का पुराना समीकरण

बिहार में भारतीय जनता पार्टी 2024 के चुनाव की तैयारी कर रही है। भाजपा के नेता अब भी नीतीश कुमार के ऊपर डोरे डाल रहे हैं लेकिन साथ ही फिर वहीं समीकरण बनाने की कोशिश कर रही है, जिसके दम पर एनडीए ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 32 सीटें जीती थीं। अगर नीतीश साथ आ जाते तो 2019 टाइप से एनडीए 34 सीट जीत जाता। लेकिन नीतीश अभी राजद के साथ हैं और अगले चुनाव में भाजपा को सबक सिखाने की ठाने बैठे हैं। तभी भाजपा 2014 जैसा समीकरण बना रही है। उस समय के जो नेता भाजपा के साथ थे वे फिर साथ आ रहे हैं। उपेंद्र कुशवाहा जदयू से अलग होकर अपनी पार्टी बना चुके हैं।

मुकेश सहनी ने 2014 में पार्टी नहीं बनाई थी लेकिन वे भाजपा के साथ थे। बाद में उनकी पार्टी बनी तो भाजपा ने पूरी पार्टी ही अपने में विलय करा ली लेकिन अब वे फिर भाजपा के नजदीक आ रहे हैं। चिराग पासवान पहले से भाजपा के साथ हैं।

इन तीनों नेताओं के भाजपा के साथ आने या करीब आने के पीछे कई राजनीतिक कारण हैं। जदयू के राजद के साथ जाने के बाद इन नेताओं के लिए वहां कोई खास गुंजाइश नहीं बची थी। दूसरे, इनका वोट बैंक यादव-मुस्लिम समीकरण में फिट नहीं बैठता है। कोईरी, मल्लाह और दुसाध ये तीनों जातियां राजद के समीकरण में फिट नहीं हैं, जबकि भाजपा के साथ इनका लगभग परफेक्ट कॉम्बिनेशन बनता है।

इस बीच भाजपा ने इन तीनों को केंद्रीय सुरक्षा के जाल में भी ले लिया है। जदयू छोड़ते ही उपेंद्र कुशवाहा को वाई प्लस सुरक्षा मिल गई। मुकेश सहनी को वाई प्लस की सुरक्षा मिल गई है, जबकि चिराग पासवान की वाई प्लस की सुरक्षा को अपग्रेड करके जेड श्रेणी का कर दिया गया है। केंद्र सरकार का सुरक्षा घेरा लेकर तीनों नेता अगले चुनाव की तैयारी में जुटे हैं।

 

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