ऐसा नहीं है कि सिर्फ भाजपा संगठन में यथास्थिति बनी हुई है। केंद्र और राज्यों की सरकारों में भी यथास्थिति कायम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरी सरकार बनने के बाद सिर्फ एक बार कैबिनेट में फेरबदल की थी और उसके भी डेढ़ साल से ज्यादा हो गए। पहली और आखिरी बार जुलाई 2021 में बदलाव किया गया था। पिछले छह महीने से केंद्रीय कैबिनेट में फेरबदल की चर्चा है, लेकिन अब सरकार की चौथी सालगिरह आ गई और अभी तक बदलाव की कोई सूचना नहीं है। चुनावी राज्यों के कुछ नेताओं को केंद्र सरकार में जगह मिलने की चर्चा थी लेकिन अब सबकी उम्मीदें टूट रही हैं। कर्नाटक के नेता रह गए और अब मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना आदि के कुछ नेता उम्मीद लगाए हुए हैं।
इसी तरह राज्यों में भी यथास्थिति बनी हुई है। कर्नाटक में छह महीने से ज्यादा समय तक इस बात की चर्चा रही कि आज या कल में कैबिनेट फेरबदल होगी। आर अशोक से लेकर रमेश जरकिहोली तक के मंत्री बनने की चर्चा होती रही और कैबिनेट में बदलाव नहीं हुआ। दसियों बार मुख्यमंत्री ने दिल्ली के चक्कर काटे। यह स्थिति मध्य प्रदेश की है। वहां भी पिछले कई महीनों से कैबिनेट में बदलाव की चर्चा चल रही है महाराष्ट्र में तो सरकार न्यूनतम क्षमता में काम कर रही। करीब आधे मंत्री पद खाली हैं और इंतजार हो रहा है कि मुंबई सहित बड़े शहरों में नगर निगम का चुनाव हो तो कैबिनेट का विस्तार किया जाए। न नगर निगम के चुनाव हो रहे हैं और न कैबिनेट का विस्तार हो रहा है। हरियाणा में मुख्यमंत्री बदले जाने की चर्चा थी। खुद मनोहर लाल खट्टर अपनी स्थिति को लेकर भरोसे में नहीं थ। पर न मुख्यमंत्री पर कोई फैसला हुआ है और न सरकार में फेरबदल को लेकर कोई बात हो रही है। सो, केंद्रीय संगठन हो या राज्यों का संगठन हो और केंद्र सरकार हो या राज्यों की सरकार हो, सब जगह भाजपा ने यथास्थिति बना कर रखी है।